आदिगुरु शंकराचार्य पूरे भारत में प्रसिद्ध है, आज नौ मई को इनकी जयंती है, इन्होंने मात्र 32 वर्ष की अल्प आयु में अपना शरीर छोड़ दिया था| इन्होंने मात्र 2 वर्ष में वेद, उपनिषद के ज्ञान को प्राप्त कर लिया था, जिसके बाद वह केवल 7 वर्ष की आयु में संन्यास ग्रहण कर लिया | इन्होंने अपने ज्ञान शक्ति और माता के प्रेम में गांव से दूर बहने वाली नदी को घर के पास ले आये थे |
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शंकराचार्य जी का जन्म केरल के कालड़ी गांव में हुआ था | इनके पिता शिवगुरु नामपुद्रि और माता विशिष्टा देवी था | इनकी शिक्षा गुरूकुल में हुई थी | इनकी विलक्षण क्षमता को देख करे वहां के गुरुजन भी हैरान थे | इनकी माता जी ने इनका बहुत ही सहयोग किया था वह अपने माता- पिता के एक मात्र पुत्र थे | इनके पिता का देहांत बचपन में ही हो गया था | जिसके बाद इनका लालन- पालन माता जी ने ही किया |
इनके ऊपर अपनी माता जी का बहुत ही प्रभाव था | सन्यास लेने के लिए जब उन्होंने अपनी माता की आज्ञा मांगी तब वह इसके लिए तैयार नहीं हुई लेकिन बाद में वह मान गयी | इनकी माता ने आज्ञा देने के साथ एक वचन भी माँगा था कि वह अपनी माता के अंतिम समय में उनके पास ही रहेंगे और शरीर का अंतिम संस्कार भी करेंगे | इस वचन का इन्होंने बखूबी निभाया था |
इनके विषय में कहा जाता है इनकी माता जी को स्नान के लिए गावं से बहुत दूर जाना पड़ता | आदिगुरु शंकराचार्य ने अपनी माता के लिए नदी कि दिशा बदल दी थी वह नदी इनके घर के पास से होकर बहने लगी थी |
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