प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन सुनने के बाद, कश्मीरियों ने कहा – ‘जो हो रहा है उसी में हमारी भलाई है’

गुरूवार 8 अगस्त को शाम 4 बजे देश के प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर पूरे देश को सम्बोधित किया है वहीं अब मोदी जी का राष्ट्र के नाम संबोधन सुनने के बाद पिछले चार दिन से लगातार असमंजस और दुविधा में रह रहे कश्मीरियों ने राहत की सांस ली है | इसके पहले लोगों को मोदी के सम्बोधन का बेसब्री से इन्तजार था | इसके बाद जब  शाम को  खबर आई कि, प्रधानमंत्री के संबोधन का समय बदल गया है, तो आमजन सोचने लगा कि पता नहीं क्या होने जा रहा है?

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मोदी के सम्बोधन की बाते किसी ने घर के बाहर खड़े होकर पड़ोसी के रेडियो सेट पर सूनी तो किसी ने अपने परिजनों के साथ दूरदर्शन पर और डिश टीवी के माध्यम से सुनी | लद्दाख और जम्मू में भी लोगों ने प्रधानमंत्री के संबोधन को बहुत ही मन से सुना है। अधिकतर लोगों ने कहा है कि, पीएम का संदेश सुनकर विश्वास हुआ कि जो हो रहा है, उसी में हमारी भलाई है। 

श्रीनगर में राजबाग पुलिस स्टेशन से कुछ ही दूरी पर इखराजपोरा मस्जिद में इशा की नमाज अदा करने आए नासिर खान ने कहा कि, हमने रेडिया पर पूरा भाषण सुना। अब जाकर बड़ी राहत मिली है। पीएम ने ऐसी कोई बात नहीं की जिससे हमारा अहित हो। हम तो हिंदोस्तानी हैं, इसमें न हमें संदेह है और न किसी दूसरे को होना चाहिए। यहां हम सभी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि, हमारी सभ्यता और संस्कृति को बचाए रखने के लिए सरकार क्या कर रही है, यह उन्होंने नहीं बताया। आम कश्मीरी तो पहले भी कोई विशेषाधिकार नहीं चाहता था और न अब। अगर वह इसका भी उल्लेख करते तो बेहतर होता।”

सेवानिवृत इंजीनियर एजाज हुसैन ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें लोकतंत्र की आड़ में पल रहे खानदानी राज से मुक्ति का यकीन दिलाते हुए कहा कि, अब हम लोगों में से ही यहां विधायक बनेंगे, सांसद बनेंगे। पहले भी बनते थे, लेकिन वह दूसरों को आगे नहीं आने देते थे। उनकी बात से साफ हो गया है कि कोई बाहर से यहां आकर चुनाव नहीं लड़ने वाला, चुनाव हम कश्मीरी ही लड़ेंगे और हम ही अपनी मर्जी से अपना नेता चुनेंगे।

करगिल में अध्यापक शब्बीर काचो ने टेलीफोन पर बताया कि, कस्बे में शाम को लोग टीवी के सामने खड़े थे। प्रधानमंत्री ने तो कोई ऐसी बात का जिक्र नहीं किया है, जिससे हमारी पहचान, हमारी संस्कृति किसी तरह से भंग होती हो। हमारे खेत खलिहानों पर कोई कब्जा करने नहीं आ रहा है। उन्होंने तो हमें 72 साल से जारी शोषण की राजनीति से आजादी का संदेश दिया है।’

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