ग्रीन पटाखे क्या होते हैं, यहाँ से जानें पूरी जानकारी

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इस बार दीपावली का त्यौहार 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा| जिसमें लोग बहुत सारे पटाखे जलाते हैं, लेकिन इस बार कोर्ट ने दीपावली के दिन सिर्फ़ दो घंटे के लिए रात 8 से 10 बजे तक पटाखे जलाने का आदेश दिया है| इसके साथ कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि, त्योहारों में कम प्रदूषण वाले ‘ग्रीन पटाखे’ ही जलाए और बेचे जाने चाहिए, तो इसलिए आप भी जान लीजिये कि, ग्रीन पटाखे क्या होते है, और कैसे होते है?

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जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि, “प्रतिबंधित पटाखे बेचे जाते हैं, तो संबंधित इलाक़े के थाना प्रभारियों को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा और उन पर अवमानना का मामला चलेगा|” जानकारी देते हुए बता दें कि, ‘ग्रीन पटाखे’ राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) की खोज हैं, जो पारंपरिक पटाखों जैसे ही होते हैं, पर इनके जलने से  प्रदूषण बहुत कम फैलता है| नीरी एक सरकारी संस्थान है, जो वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंघान परिषद (सीएसआईआर) के अंतर्गत आता है|

ग्रीन पटाखे क्या है?

1.ग्रीन पटाखे किसी दूसरे तरह नहीं दिखाई देते हैं बल्कि वो भी दिखने, जलाने और आवाज़ में सामान्य पटाखों की तरह ही होते हैं, लेकिन इन पटाखों की ख़ास बात यह कि इनमें प्रदूषण कम होता है|

2.सामान्य पटाखों की तुलना में इन्हें जलाने पर 40 से 50 फ़ीसदी तक कम हानिकारक गैस उत्पन्न होती है|  

3.नीरी के चीफ़ साइंटिस्ट डॉक्टर साधना रायलू कहती हैं, “इनसे जो हानिकारक गैसें निकलेंगी, वो कम निकलेंगी| ऐसा भी नहीं है कि इससे प्रदूषण बिल्कुल भी नहीं होगा| पर हां ये कम हानिकारक पटाखे होंगे|”

4.डॉक्टर साधना बताती हैं कि, सामान्य पटाखों के जलाने से भारी मात्रा में नाइट्रोजन और सल्फ़र गैस निकलती है, लेकिन उनके शोध का लक्ष्य इनकी मात्रा को कम करना था|”

5.ग्रीन पटाखों में जो भी मसाले उपयोग में लाये जाते हैं, वो ज्यादातर सामान्य पटाखों से अलग होते हैं| वहीं, नीरी ने कुछ ऐसे फ़ॉर्मूले बनाए हैं, जो हानिकारक गैस कम पैदा करेंगे|

कैसे होते है ग्रीन पटाखे

1.डॉक्टर साधना बताती हैं कि, “उनके संस्थान ने ऐसे फॉर्मूले तैयार किए हैं, जिसके जलने के बाद पानी बनेगा और हानिकारक गैस उसमें घुल जाएगी|”

2.इन ग्रीन पटाखों की एक ख़ास बात यह है कि, ये  सामान्य पटाखों से उन्हें अलग करती है| नीरी ने चार तरह के ग्रीन पटाखे बनाए हैं|

नीरी द्वारा निर्मित चार प्रकार के पटाखें 

1.पानी पैदा करने वाले पटाखे 

इन पटाखों में जलने के बाद पानी के कण निकलेंगे जिसमें सल्फ़र और नाइट्रोजन के कण घुल जाते हैं| वहीं, नीरी ने इन पटाखों का नाम  सेफ़ वाटर रिलीज़र रखा है| ये पटाखे पानी प्रदूषण को कम करने का बेहतर तरीका माना जाता है| अभी एक साल पहले ही दिल्ली के कई इलाक़ों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर पानी के छिड़काव की बात कही जा रही थी|

2.सल्फ़र और नाइट्रोजन कम पैदा करने वाले पटाखे

नीरी ने इन पटाखों का नाम STAR क्रैकर दिया है,  इसका मतलब सेफ़ थर्माइट क्रैकर इनमें ऑक्सीडाइज़िंग एजेंट का इस्तेमाल किया जाता है| जिससे जलने के बाद सल्फ़र और नाइट्रोजन कम मात्रा में उत्पन्न होते है| इसके लिए ख़ास तरह के केमिकल का उपयोग किया जाता है|

3.कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल

इस पटाखे में सामान्य पटाखों की तुलना में 50 से 60 फ़ीसदी तक कम एल्यूमीनियम का प्रयोग किया जाता है| इसका संस्थान ने सेफ़ मिनिमल एल्यूमीनियम यानी SAFAL नाम रखा है|

4.अरोमा क्रैकर्स 

इन पटाखों को जलाने से हानिकारक गैस बिलकुल भी नहीं उत्पन्न नहीं होती है, साथ ही इन पटाखों को जलाने के बाद इससे बहुत बेहतरीन खुशबू भी निकलती है|   

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यहाँ से ख़रीदे ग्रीन पटाखे

1.जानकारी देते हुए बता दें कि, लोगों को भारतीय बाजारों में ग्रीन पटाखे उपलब्ध नहीं हो पाएंगे| यह नीरी की खोज है और इसे बाज़ार में आने में काफी समय लगने की संभावना है|

2.नीरी को अभी इसे बाज़ार में उतारने से पहले सरकार के सामने इसके गुण और दोष का प्रदर्शन करना पडेगा, जिसके बाद ही नीरी इसे भारतीय बाजार में पेश किया जा सकता है|

3.फ़िलहाल अभी भारतीय बाज़ारों में पारंपरिक तरीके़ से पटाखों का निर्माण किया जा रहा है| वही, सरकार द्वारा कुछ केमिकल पर प्रतिबंध लगने के बाद कई तरह के पटाखों का निर्माण  बंद भी कर दिया गया है| 

ग्रीन क्रैकर्स कहाँ जलाये जाते है

1.बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने जिस ग्रीन पटाखों के बारे में बात की है, उसका इस्तेमाल दुनिया के किसी देश में नहीं  किया जाता है|

2.वहीं, डॉक्टर साधना कहती हैं कि, “ग्रीन पटाखे का आइडिया भारत का है और अगर इसे बाज़ारों में उतारा जाता है तो हम दुनिया को एक नई दिशा दे सकते हैं|”

3.इसी के साथ वो  बताती हैं कि,”इस दिशा में संस्थान का शोध पूरा हो चुका है और अब मामला सरकारी एजेंसियो के पास है| डॉक्टर साधना कहती हैं, “हम लोगों ने अप्रूवल के लिए पेट्रोलियम तथा विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) को लिखा है, उसकी अनुमति मिलने के बाद इसे बाज़ार में उतारा जा सकेगा|”

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