भारत में वर्ष 2019 में आम चुनाव की तारीख काफी पास आ गई । 70 सालों में अभी तक चुनावी इतिहास के दौरे में किसी भी पार्टी ने एक भी चुनाव में 50 फीसदी से अधिक वोट शेयर नहीं प्राप्त किया है। इसलिए आप भी जान लीजिये कि भारत में 70 सालों में वोटिंग का इतिहास क्या रहा है? भारत में आजादी मिलने के बाद से चुनावों ने एक लंबा रास्ता तय कर लिया है, जोकि अभी तक जारी है |
ये भी पढ़ें: मतदान क्या होता है | क्यों आवश्यक जानिए
ये रहा है अब तक का हाल
बता दें कि वर्ष 1951 में आम चुनाव हुए थे जिसमें मतदाताओं की संख्या 17,32,12,343 थी और यही संख्या 2014 में बढ़कर 81,45,91,184 पहुंच चुकी हैं इसके अतिरिक्त वर्ष 2004 में, भारतीय चुनावों में मतदाताओं की संख्या पहले से बहुत अधिक रही थी और इस चुनाव के लिए 1989 के खर्चे का ऐलान भी किया गया था |
दस लाख से भी ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का प्रयोग इन चुनावों में किया गया था| अब बात करते है 2009 के चुनावों की तो 2009 के चुनावों में मतदाताओं की संख्या 714 मिलियन रही है, जो अमेरिका और यूरोपीय संघ की संयुक्त संख्या से भी ज्यादा है |
ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव | इलेक्शन डेट 2019 में कब | किस महीने में होगा
अब चुनावों में वोटिंग करने वालों व्यक्तियों की संख्या में तेजी के साथ बढ़ोत्तरी होने की वजह से चुनावों को कई चरणों में आयोजित करना जरुरी दिखाई दे रहा है | (2004 के आम चुनावों में चार चरण थे और 2009 के चुनावों में पांच चरण रहे )। चुनाव की इस प्रक्रिया मे भारतीय चुनाव आयोग द्वारा चुनावों की तारीखों का ऐलान , राजनैतिक दलों के बीच “आदर्श आचार संहिता” लागू होने से लेकर परिणामों का ऐलान और सफल उम्मीदवारों की सूची राज्य या केंद्र के कार्यकारी प्रमुख को सौंप देना आदि आता है | चुनाव प्रक्रिया की सामप्ति भी इन्हीं परिणामों के ऐलानो के साथ हो जाती है और तभी नई सरकार के गठन का रास्ता साफ होता है
वहीं 1951 से अभी तक आयोजित हुए चुनाव में किसी पार्टी को 50% से ज्यादा वोट शेयर नहीं मिला। यहाँ तक यह आंकड़ा पंडित जवाहर लाल नेहरू के जमाने में भी नहीं पार हो पाया है |
एक और बात जीतने वाली पार्टी का वोट शेयर 40% से कम पहली बार 1989 में हुआ जब नैशनल फ्रंट ने जीत हासिल की थी। इसके अतिरिक्त 1991 तक सरकार बनाने वाली पार्टी का वोट शेयर 30% से ज्यादा ही था | कांग्रेस 1991 में जीतने वाली प्रमुख पार्टी रही थी। वहीं 1996 में वोट शेयर 30 फीसदी से कम पहली बार रहा था तभी बीजेपी ने सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सरकार
23 साल बाद पुर्ण बहुमत की सरकार बनी और इसमें 1991 के बाद पहली बार 2014 में जब बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो वोट शेयर 30% से अधिक रहा। बीजेपी के वोट शेयर के बढ़त की बात करें तो पहली बार 1989 में बीजेपी का वोट शेयर 10% से अधिक पहुंचा था।
इसके बाद 2009 में पहली बार बीजेपी को बड़ा झटका लगा और वोट शेयर 20% से भी कम चला गया। अगर हम बात करें सबसे अच्छे समय की तो 2014 चुनाव बीजेपी के अब तक के इतिहास का सबसे सफल और अच्छा चुनाव रहा है। पहली बार 1991 के बाद किसी पार्टी को 30% से अधिक वोट शेयर मिला।
अब 2019 में लोकसभा चुनाव होना है | जिसके लिए सभी दलों के नेता तेजी के साथ तैयारी कर रहें हैं |
ये भी पढ़ें: चुनाव आयोग ने दिया सुझाव, 48 घंटे पहले सोशल मीडिया प्रचार पर लगे बैन