हनुमान जयन्ती का त्योहार चैत्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को मनाया जाता है । शास्त्रों के अनुसार हनुमान जयंती वर्ष में दो तिथियों में मनाये जानें की परंपरा है। पहला चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है, जबकि महर्षि वाल्मिकी रचित रामायण के अनुसार हनुमानजी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मंगलवार के दिन, स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था। हिंदू मान्यता के अनुसार चैत्र पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ माना गया है। इस माह 19 अप्रैल को हनुमान जयंती मनाई जाएगी, जिसका अपना अलग ही महत्व है।
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हनुमान जी के जन्म दिवस के रूप में जबकि दूसरी तिथि को विजय अभिनन्दन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। उनकी जयंती को लेकर दो कथाएं भी प्रचलित है। ऐसी मान्यता है, जब हनुमानजी माता अंजनि के पेट से पैदा हुए तभी उन्हें बहुत तेज भूख लग गई थी। तब उन्होंने सूर्य को फल समझ कर खाने के लिए दौड़े, उसी दिन राहू भी सूर्य को अपना ग्रास बनाने के लिए आया हुआ था, लेकिन हनुमान जी को देखकर सूर्यदेव ने उन्हें दूसरा राहु समझ लिया| इस दिन चैत्र माह की पूर्णिमा होने से इस तिथि को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है।
हनुमान जयंती दीपावली को भी मनाई जाती है। माता सीता ने हनुमान जी की भक्ति और समर्पण को देखकर उनको अमरता का वरदान दिया। ऐसी मान्यता है, कि यह दिन दीपावली का दिन था, इसलिए इस दिन को भी हनुमान जयंती के रुप में मनाया जाता है। इस दिन सिंदूर चढ़ाने से बजरंग बलि प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है, कि हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भगवान राम की भक्ति भी करनी चाहिए। हनुमान जी की भक्ति करने से मनुष्य को शक्ति और समर्पण प्राप्त होता है। इस दिन हनुमान जी सभी भक्तों की मुरादें पूरी करते हैं।
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए तिल के तेल में नारंगी सिंदूर घोलकर चढ़ाएं । हनुमान जी को चमेली की खुश्बू या तेल और लाल फूल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है। इसके अतिरिक्त हनुमान जी की कृपा प्राप्त करनें के लिए 11 लडडू चढ़ाने चाहिए। हनुमान जी पर जल चढ़ाने के बाद पंचामृत चढ़ाना भी अच्छा होता है।
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