Hariyali Teej 2019: आज 3 अगस्त को सावन महीने में पड़ने वाला हरियाली तीज व्रत है। बता दें कि, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज या हरियाली तीज के नाम से प्रसिद्द है। इस तीज व्रत के त्यौहार को लगभग उत्तर भारत के सभी लोग बड़ी ही श्रध्दा के साथ मनाते है| इस तीज व्रत वाले दिन सभी विवाहित महिलाएं भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा बहुत ही श्रध्दा के साथ करती हैं।
इस व्रत को रखनें वाली महिलाएं सारा दिन बिना पानी की एक बूंद भी नहीं पीती हैं| माना जाता है कि, इस व्रत को निर्जला ही रखते हैं, इस दिन कुछ खाया पिया नहीं जाता, इसलिए आप भी जान लीजिये इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत के नियम –
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हरियाली तीज व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज की तिथि: 03 अगस्त 2019
आरंभ होनें का समय : 03 अगस्त 2019 की सुबह 07 बजकर 06 मिनट से
तिथि समाप्त: 04 अगस्त 2019 की सुबह 03 बजकर 36 मिनट तक
व्रत के नियम
1- हरियाली तीज व्रत करने की कथा है कि, मां पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए बहुत ही कठिन तपस्या की थी। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने आज ही के दिन यानी श्रावण मास शुक्ल पक्ष की तीज को मां पार्वती के सामने प्रकट हुए और उनसे शादी करने का वरदान दिया था।
2- मान्यता है कि, हरियाली तीज के दिन महिलाएं पुत्र प्राप्ति की इच्छा के लिए व्रत करती हैं जबकि कन्या मनवांछित वर प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं।
3- इस दिन पूजा करने के लिए महिलाएं मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं।
4- पूजा समाप्त हो जाने के बाद मिट्टियों की इन मूर्तियों को नदी या किसी पवित्र जलाशय में प्रवाहित कर दी जाती है।
5- जो महिलाये इस व्रत रखती हैं वो सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर मां-पार्वती की विधिवत पूजा कर इस व्रत को शुरू करते हैं।
6- कुछ स्थानों पर मां पार्वती और शिवलिंग की पूजा करते समय मां पार्वती को शंकर जी वर के रूप में कैसे प्राप्त हुए इसकी कथा भी सुनाई जाती है। इस कथा को हरियाली तीज की कथा कही जाती है |
7- मान्यता हो कि, इस व्रत के दौरान पूरे दिन मां पार्वती और भगवान शिव का ही ध्यान करना चाहिए।
8- व्रत खोलने से पहले भगवान को खीर पूरी या हलुआ और मालपुए से भोग लगाना जरूरी होता है |
9- विवाहित महिलाएं तीज हरियाली की पूजा करने के लिए सोलह श्रृंगार करके तैयारी होती हैं
10- हरियाली तीज की पूजा में गीली मिट्टी, पीले रंग का नया कपड़ा, बेल पत्र, कलावा, धूप-अगरबत्ती, कपूर, घी का दीपक, फूल-फल, नारियल और पंचामृत आदि सामाग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है |
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