शादी के बाद अक्सर यह देखा जाता है, कि लोगो के लिए अपनें माता- पिता की आर्थिक मदद करना काफी कठिन हो जाता है| हमारे देश में लगभग बच्चे अपने बुजुर्ग माता –पिता का आर्थिक खर्च का वहन करते है, परन्तु इस बात को लेकर कभी-कभी पति और पत्नी के बीच विवाद की स्थिति तक उत्पन्न हो जाती है, क्योंकि इस सम्बन्ध में पति और पत्नी की राय एक नहीं बन पाती है| वर्तमान समय में लोगो का रहन-सहन काफी महंगा हो गया है|
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ऐसे में यदि आप कुछ बातों पर ध्यान देंगे, तो आपके लिए अपने माता-पिता और सास-ससुर की आर्थिक मदद करनें में मदद मिलेगी और आप इन टिप्स की मदद से आप अपने वैवाहिक जीवन को संकट में लाए बिना और जरूरतों को टाले बिना अपने माता-पिता का खयाल रख पाएंगे।
1. अपने जीवनसाथी से करे बात
अपने माता-पिता की आर्थिक सहायता करनें से सम्बंधित बाते आपको अपने पार्टनर से शादी से पहले या बाद में अवश्य कर ले, क्योंकि आपके पार्टनर को इस बात की जानकारी होना अवश्य है, कि आप अपने माता-पिता की आर्थिक सहायता करना चाहते हैं। इसके साथ ही यह भी निर्धारित करे, कि यह सहायता नियमित होगी अथवा आवश्यकता पड़ने पर| सबसे अहम् बात यह है, कि आप अपने पार्टनर से इस सम्बन्ध में बिल्कुल भी झूठ न बोले, कि आप अपनी सैलरी का कितना हिस्सा अपने पेरेंट्स को देना चाहते हैं।
2.अपनी नई फैमिली पर अधिक प्राथमिकता
शादी और बच्चे होने के बाद आपका यह परिवार आपकी प्राथमिकता होना चाहिए। आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके पास एक तय बजट है, आपातकाल के लिए धन और इंश्योरेंस है, आपने अपनी भविष्य की जरूरतों की पहचान कर ली है और उनके लिए निवेश भी कर रहे हैं। इसके बाद जो रकम बचे, उसमें से आप अपने माता-पिता की मदद कर सकते हैं। यानी अपने माता-पिता की हर संभव मदद करें, लेकिन अपने पारिवारिक खर्चों को नजरंदाज न करे|
3.अन्य तरीके से करें पेरेंट्स की मदद
आप अपने माता-पिता को सीधे-सीधे पैसे न देकर अन्य तरीकों से भी उनका खयाल रख सकते हैं। आप उनके पैसों का हिसाब-किताब संभाल सकते हैं। उनके लिए हेल्थ और क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस खरीद सकते हैं, जो बुढ़ापे में उनके काम आएगी। आप उनके पैसे को सही जगह निवेश करने में भी मदद सकते हैं, जिससे रिटायरमेंट के बाद वे पूरी तरह आप पर निर्भर न हो ।
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4. अपने भाई-बहनों को भी इसमें करे शामिल
यदि आपके माता-पिता का आर्थिक मदद की जरूरत नियमित रूप से पड़ती है, तो ऐसी स्तिथि में अकेले ही सारा खर्च उठाने की बजाय अपने भाई-बहनों को भी इसमें शामिल करें। और आप पूरे परिवार के साथ बैठकर ऐसा प्लान बनाएं जिससे सभी सहमत हों। यह भी सुनश्चित करें कि आप अपने माता-पिता की मेडिकल या किसी अन्य इमरजेंसी को नजरंदाज न करें । जब आपके माता-पिता को आपकी जरूरत हो तो आर्थिक, व्यक्तिगत और जज्बाती रूप से अपने माता-पिता का साथ जरूर दें।
5.अपने पार्टनर को दें आर्थिक रूप से प्राइवेसी
जब आपके परिवार की वित्तीय स्थिति बेहतर तरीके से चल रही हैं, तब आपको अपने पति-पत्नी को आर्थिक रूप से प्राइवेसी देनी चाहिए। इसलिए अच्छा होगा कि आप अपने घरेलू खर्चों के लिए ज्वाइंट अकाउंट बनाएं और निजी खर्चों के लिए व्यक्तिगत अकाउंट बनाएं। अपने पर्सनल अकाउंट के पैसे को आप कैसे खर्च करते हैं, इसके लिए आप और अपने पति/पत्नी स्वतंत्र होने चाहिए।
मेंटेनेंस ऐंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स ऐंड सीनियर सिटीजन ऐक्ट, 2007
यदि आप माता-पिता की वित्तीय सहायता नहीं करना चाहते, तो इस एक्ट के अंतर्गत वारिसों के लिए वरिष्ठ नागरिकों और मां-बाप के रखरखाव का ख्याल रखना अनिवार्य है।
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