क्रिकेट में “डक वर्थ लुइस” रूल क्या है जानिए सब कुछ इसके बारे में यहाँ हिंदी में

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क्रिकेट में रूचि रखनें वाले लोग वैसे तो यह चाहते हैं कि मैच में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं आये, लेकिन जब बारिश या अन्य किसी कारणवश मैच को रोकना पड़ता है, तो इस समस्या से निपटने के लिए डकवर्थ लुईस नियम का प्रयोग किया जाता है। जैसे कि 9 जुलाई को भारत और न्यूजीलैंड के बीच विश्वकप 2019 का पहला सेमीफाइनल खेला जा रहा है। न्यूजीलैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 46.1 ओवर में 5 विकेट खोकर 211 रन बना लिए, तभी बारिश शुरू हो गई और खेल को रोकना पड़ा। अब अगर न्यूजीलैंड के खिलाड़ी दोबारा बैटिंग करने नहीं आते हैं, तो डकवर्थ लुईस नियम लगेगा।

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“डक वर्थ लुइस” रूल क्या है?

डकवर्थ-लुईस नियम दो अंग्रेज सांख्यिकी विशेषज्ञ फ्रेंक डकवर्थ और टोनी लुईस के नाम पर रखा गया है | इन दोनों विशेषज्ञों  के सरनेम को जोड़कर ही डकवर्थ-लुईस नियम की शुरूआत हुई| क्रिकेट में यह नियम लागू होने के बाद बेहद सटीक माना जाने लगा, जिसका प्रयोग आज भी किया जा रहा है|  

“डक वर्थ लुइस” नियम की गणना

इस नियम को किसी मैच में लागू करने के लिए किसी भी एक टीम की पहली पारी का हो जाना जरुरी होता है| इस नियम की गणना एक टेबल यानि एक चार्ट के द्वारा की जाती है, जो समय समय पर बदला भी जाता रहता है| मैच की एक पारी होने के बाद यदि मैच में कोई बाधा आ जानें के कारण मैच को रोकना पड़ता है, तो दूसरी दूसरी टीम की पारी या उनकी बैटिंग के लिए कुछ सीमित ओवर में सीमित स्कोर दिया जाता है, जो डकवर्थ लुईस नियम से कैलकुलेट होता है|

डकवर्थ लुइस नियम के अनुसार, दोनों टीमो के पास दो चीजे होती है| पहला कुल बचे ओवर और दूसरा कुल बचे हुए हुए विकेट| मैच में रन इन दोनों साधनों के आधार पर रन बनाये जाते है, इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए डकवर्थ लुइस नियम की टेबल बनायीं गयी है| जिससे यह ज्ञात किया जाता है, कि खेल रही टीम के पास कितने प्रतिशत साधन बाकी है|

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