जानिए क्या है सीडीएस (Chief of Defence Staff), भारत में भी 20 साल बाद लागू हुई व्यवस्था

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अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल में भारत में एक और व्यवस्था लागू करने के लिए कल गुरूवार 15 अगस्त के मौके पर बड़ा ऐलान किया है| मोदी जी ने भारतीय सेनाओं को और मजबूती प्रदान करने और तालमेल बेहतर करने के लिए तीनों सेनाओं के ऊपर एक प्रमुख का पद बनाने की घोषणा की है| इस पद का नाम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) है| बता दें, कि भारत में 20 साल बाद यह व्यवस्था लागू हुई है, इसलिए आप भी जानिये, कि सीडीएस क्या हैं?

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पीएम मोदी ने सबसे पहले लाल किले पर ध्वजारोहण किया, इसके बाद उन्होंने देश को संबोधित किया| उन्होंने अपने भाषण में तीनों सेनाओं की मजबूती और तालमेल पर जोर देते हुए कहा, ‘तेजी से बदलती तकनीक और वक्त के साथ युद्ध के तरीके भी बदल रहे हैं। अब अगर कहीं भी युद्ध हुआ, तो वह पहले से कहीं अधिक भयावह होगा। इससे निपटने के लिए तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमाल आवश्यक है।’ इसके साथ ही उन्होंने तीनों सेनाओं, थल सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए CDS सिस्टम लागू करने की घोषणा भी कर दी।

CDS की आवश्यकता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, सुरक्षा विषय के जानकार लंबे समय से इस सिस्टम की मांग करते रहे हैं, और उनकी मांग और सेना में बेहतर समन्वय की जरूरतों को देखते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ की व्यवस्था की गई है। सीडीएस तीनों सेनाओं के प्रभारी होंगे। इससे तीनों सेनाओं को एक नेतृत्व प्राप्त होगा।’ इसी के साथ कहा ये व्यवस्था इसलिए की गई है, क्योंकि आज के समय में तीनों सेनाओं का साथ चलना बेहद जरूरी है। तीनों सेनाएं एक साथ चलें तभी काम चलेगा। यदि एक सेना आगे और बाकी सेनाएं उनके एक-एक कदम पीछे चल रहीं हैं, तो काम नहीं चलेगा।’

क्या है सीडीएस

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अर्थात सीडीएस का पद तीनों सेनाओं के ऊपर होता है। सुरक्षा विशेषज्ञ 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से इसकी मांग करते रहे हैं। कारगिल युद्ध के बाद तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में बने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GOM) ने भी तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए सीडीएस की सिफारिश की थी। GOM ने अपनी सिफारिश में कहा था, यदि कारगिल युद्ध के दौरान ऐसी कोई व्यवस्था होती और तीनों सेनाएं बेहतर तालमेल से युद्ध के मैदान में उतरतीं तो नुकसान काफी कम होता, परन्तु 20 साल बाद इसे लागू किया जा रहा है।

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