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लोकसभा चुनाव: नई सरकार के गठन में क्षेत्रीय दलों के प्रदर्शन का होगा अहम् योगदान

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वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव का परिणाम 23 मई को घोषित किया जायेगा, और सभी लोग कयास लगा रहे हैं, कि मतगणना के बाद महागठबंधन की जीत होगी या हार इसका असर राज्यों के सियासी समीकरण में व्यापक स्तर पर बदलाव ला सकता है। इस वर्ष के लोक सभा चुनाव में क्षेत्रीय दलों के प्रदर्शन पर राष्ट्रीय दलों का भविष्य टिका है, क्योंकि क्षेत्रीय दल और गठबंधन में शामिल होनें के साथ ही वह स्वतंत्र रूप से भी चुनाव लड़ रहे है|

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यदि क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन पिछले चुनाव की अपेक्षा बेहतर रहता है, तो इसका प्रभाव केंद्र में आने वाली नई सरकार के गठन पर पड़ेगा। पिछले लोकसभा चुनावों की अपेक्षा इस बार की परिस्थितियां बिल्कुल अलग है, जबकि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में कई क्षेत्रीय दल अपना खाता भी नहीं खोल पाए थे|

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कई क्षेत्रीय दलों और छोटी पार्टियां को एनडीए या यूपीए गठबंधनों में सीटों में अहम हिस्सेदारी मिली है, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है, कि इस बार इन दलों का प्रदर्शन पहले से बेहतर होनें की संभावना है।वर्ष 2019 के लोक सभा चुनावों में केंद्र की राजनीति में क्षेत्रीय दलों का टेस्ट होगा।

सरकार बनाने में क्षेत्रीय दलों की अहम भूमिका

ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है, क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन अच्छा होनें पर सबसे अधिक नुकसान सत्तारूढ़ एनडीए को होगा, क्योंकि पिछली बार उसने शानदार जीत दर्ज की थी, और क्षेत्रीय दलों के अच्छे प्रदर्शन से गठबंधन सरकार बनाने में उनकी भूमिका अहम हो जाएगी। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस वर्ष क्षेत्रीय दलों को लगभग 150 से अधिक सीटें मिलनें की संभावना हैं।

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पिछले चुनाव में तृणमूल का था शानदार प्रदर्शन

यदि हम पिछले चुनावों की बात करे तो, पिछले चुनाव में अन्नाद्रमुक, बीजद,  तृणमूल कांग्रेस, टीआरएस आदि का बेहतरीन प्रदर्शन था, क्योंकि इन दलों ने अपनें प्रांतों में अच्छी सीटें प्राप्त की थी । एनडीए के साथ अनेक क्षेत्रीय दल खड़े हुए थे, जिसमें  शिवसेना, टीडीपी, लोजपा, रालोसपा तथा कुछ और छोटी पार्टियां शामिल हैं। जबकि बसपा, द्रमुक जैसे दल खाता नहीं खोल पाए थे। जदयू, राजद, सपा जैसी बड़ी क्षेत्रीय पार्टियां भी चार-पांच सीटों तक सिमटकर रह गई थी ।

इस वर्ष सपा-बसपा की स्थिति बेहतर होनें की संभावना

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, इस वर्ष उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बसपा के गठबंधन से इनकी स्थिति बेहतर होनें की संभावना है| यदि हम बिहार की बात करे, तो जदयू तथा राजद जैसी पार्टियों के सीटों की संख्या बढनें की संभावना है| इसी प्रकार महाराष्ट्र में कई छोटे-छोटे दल एक-एक, दो-दो सीटों पर अपनी जीत दर्ज करा सकते हैं। भाजपा और कांग्रेस से मिल रही चुनौती के बावजूद बीजद, तृणमूल, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस जैसे दलों का प्रदर्शन ठीक रहने की संभावना है।

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