प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया की रणनीति के तहत कांग्रेस उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए बेहतर प्रत्याशियों की खोज की जा रही है । पार्टी के प्रभारी जिलों में जाकर कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के मन की बात जाननें की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी की सोच है, कि इस बार कैंडिडेट्स कार्यकर्ताओं की भावनाओं के अनुरूप हों। जिसके पक्ष में समर्थन अधिक हो, जिससे जनता खुश हो, जिसके लिए कार्यकर्ता दिल से काम करने के लिए तैयार हों।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस चुनाव समिति की पहली बैठक में कई बड़े नेताओं के नाम केंद्रीय नेतृत्व को नहीं भेजे गए, परन्तु सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी बड़े नेताओं को प्रत्याशी बनाया जायेगा । हाल ही में आयोजित में 2009 में जीतकर लोकसभा पहुंचने वाले नेताओं की सीट पर एक बार पुनः उन्हीं प्रत्यशियो को चुनाव लड़ने पर सहमति बनी थी| नवंबर 2009 में हुए उपचुनाव में जीतकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, प्रमोद तिवारी प्रदेश, डॉ़ संजय सिंह सुलतानपुर से लोकसभा पहुंचे थे, लेकिन वह वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन नेताओं को कांग्रेस चुनाव मैदान में उतारने पर विचार किया जा रहा है।
प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में इनमें से किसी भी नेता के किसी भी सीट से चुनाव लड़ने की संभावना पर बात नहीं हुई थी, परन्तु पुरानी सीट या फिर किसी बड़ी सीट से इन लोगों को टिकट दिए जानें की संभावना है। साथ ही वर्ष 2009 की जीत में कांग्रेस के साथी रहे बेनी प्रसाद वर्मा और जगदंबिका पाल की सीटों का भी विकल्प तलाश किया जा रहा है, क्योंकि यह नेता अब कांग्रेस में नहीं हैं, इसके अतिरिक्त कांग्रेस के कुछ नेताओं ने अपनी सीट बदलने का भी विकल्प रखा है।
वाराणसी और इसके आसपास की सीट पर उम्मीदवारी के लिए कांग्रेस के पास तीन विकल्प हैं। इनमें 2009 का लोकसभा चुनाव जीतनें वाले राजेश मिश्र हैं, वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबिल रहे पूर्व विधायक अजय राय हैं, इसके अतिरिक्त पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी का भी नाम चर्चा में है, परन्तु वाराणसी लोकसभा से कांग्रेस नेतृत्व की मंशा अजय राय के पक्ष में अधिक है। ऐसे में राजेश मिश्र को भदोही या सलेमपुर सीट पर लड़ाने का भी विकल्प रखा गया है। ललितेश पति त्रिपाठी के लिए मीरजापुर या चंदौली के भी विकल्प रखे गए हैं।