मोदी सरकार का बड़ा फैसला: सरकारी कर्मचारियों के कामकाज में मिली गड़बड़ी, तो गवानी पड़ सकती है नौकरी

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मोदी  सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में आगे कदम बढ़ाते हुए जनता के लिए अहम फैसले ले रही हैं | वहीं अब मोदी सरकार ने सरकारी कर्मचारी को चेतावनी दी है | बता दें कि अभी कुछ दिनों पहले ही टैक्स डिपार्टमेंट के 25 से ज्यादा वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर कर दिया गया था और इसके बाद अब केंद्र ने भ्रष्ट एवं नकारा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों एवं सभी विभागों से अपने कर्मियों के सेवा रिकार्ड की समीक्षा करने के लिए आदेश दे दिया है  |

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इसके अलावा कार्मिक मंत्रालय ने केंद्र सरकार के सभी विभागों से प्रत्येक श्रेणी के कर्मचारियों के कामकाज की अच्छी तरह से छानबीन ‘पूरे नियम कायदे’ से करने के लिए कहा है और साथ यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जबरन सेवानिवृत्ति की कार्रवाई में मनमानी न हो | इसमें कहा गया है, ‘सभी मंत्रालयों व विभागों से आग्रह है कि वे सार्वजनिक उपक्रमों/बैंकों और स्वायत्त संस्थानों समेत अपने प्रशासनिक नियंत्रण में आने वाले विभागों के कर्मचारियों के कामकाज की ‘कायदे कानून और सही भावना’ के अनुसार समीक्षा करें’ |  

कार्मिक मंत्रालय ने कहा कि, मंत्रालयों या विभागों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एक सरकारी कर्मचारी को जनहित में समय से पहले सेवानिवृत्त करने जैसी निर्धारित प्रक्रिया का कड़ाई से पालन हो और ऐसा निर्णय मनमाना नहीं हो | निर्देश के अनुसार, सभी सरकारी संगठनों को प्रत्येक महीने की 15 तारीख को निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है | इसकी शुरूआत 15 जुलाई 2019 से कर दी जाएगी | एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, मूल नियम 56 (जे), (आई) और केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1972 के नियम 48 के तहत जारी कार्मिक मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अंतर्गत बैंकों, सार्वजनिक उपक्रमों और केंद्र सरकार के विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों का सेवा रिकार्ड की समीक्षा की जाएगी | ये नियम सरकार को जनहित में उस सरकारी कर्मचारी को सेवानिवृत्त करने की अनुमति देता है जिसकी ईमानदारी संदेहास्पद है और जो काम के मामले में कच्चे हैं |  

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