पीएम मोदी को जब सुषमा स्वराज ने सिखाया था ‘पहला सबक’, बोली – ‘कुछ मंचों की अपनी परम्परा होती है’

मंगलवार 13 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्री के रूप में प्रोटोकॉल से बंधे रहने वाले विदेश मंत्रालय को आम लोगों से जोड़ दिया था| मोदी ने एक श्रद्धांजलि सभा में कहा कि, उन्होंने (स्वराज) उनसे संयुक्त राष्ट्र में अपना पहला भाषण पहले से तैयार मूलपाठ (टेक्स्ट) से देने का अनुरोध किया था| इसी के साथ कहा कि, उन्होंने उनसे बहुत कुछ सीखा था और पहली बार प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने पहले भाषण के बारे में उनसे बात की थी|’

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मोदी ने कहा, ‘‘सुषमा स्वराज ने पूछा कि आपका भाषण कहां है, तो मैंने कहा कि मैं अपने भाषण कभी नहीं लिखता हूं, क्योंकि मुझे यह मुश्किल लगता है.” प्रधानमंत्री ने बताया, ‘‘इस पर स्वराज ने कहा, ऐसा नहीं होता है भाई. आपको दुनिया के सामने भारत के बारे में बोलना है | आप अपनी इच्छानुसार नहीं बोल सकते| मैं प्रधानमंत्री था और वह विदेश मामलों के मंत्रालय का कामकाज संभालने वाली मेरी सहयोगी थीं|”

मोदी ने कहा कि, उन्होंने (मोदी) लंबी यात्रा की थी और ‘नवरात्र’ के कारण उनका उपवास भी था, लेकिन सुषमा स्वराज ने जोर देकर कहा कि वह अपने विचारों को साझा करें| इसी के साथ कहा कि, मंत्रालय ने फिर उनके लिए एक भाषण तैयार किया| मोदी ने कहा, ‘‘यह उनका अनुरोध था… आप अच्छे वक्ता हो सकते हैं, लेकिन कुछ मंचों की अपनी परम्परा होती है| सुषमा जी ने मुझे यह पहला सबक सिखाया था|”

इसके बाद प्रधानमंत्री ने मंत्रालय से संबंधित या विदेशों में भारतीयों के सामने आने वाली समस्याओं पर स्वराज द्वारा तुरन्त कदम उठाए जाने का जिक्र किया और कहा कि, उन्होंने मंत्रालय में बदलाव किया| उन्होंने बताया कि उनके अधीन ‘पासपोर्ट सेवा केंद्र’ करीब 77 से बढ़कर 505 हो गए| मोदी ने स्वराज को याद करते हुए कहा कि, भाजपा नेता में हरियाणवी झलक भी थी, क्योंकि यदि उन्हें लगता था कि वह सही हैं, तो वह दमदार तरीके से अपनी बात रखती थीं|’

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