भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 के अंतर्गत प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होना आवश्यक है। राज्यपाल केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है, और केंद्र में राष्ट्रपति की तरह राज्यों में कार्यपालिका की शक्ति उसके अंदर निहित होती है। राज्यपाल राज्य का प्रथम व्यक्ति होता है, परन्तु वास्तविक शक्तियां मुख्यमंत्री के पास होती है| विभिन्न सरकारी कार्यों में राज्यपाल अपनी सहमती प्रदान करता है| संविधान के अनुसार, स्वतंत्र रूप से कोई बड़ा निर्णय नहीं ले सकता, क्योंकि राज्य की कार्यकारी शक्तियां मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के आधीन होती है| राज्यपाल कौन होता है, राज्यपाल की नियुक्ति कैसे होती है, इसके बारें में यहाँ विस्तार से बता रहे है|
ये भी पढ़े: भारत के राष्ट्रपति की योग्यता और अधिकार
राज्यपाल कौन होता है?
भारतीय संविधान के भाग-6 में अनु०–153 से 167 तक राज्य कार्यपालिका के बारे में प्रमुख रूप से जानकारी प्रदान की गयी है, राज्यपाल राज्य को संवैधानिक प्रमुख के रूप में नियुक्त किया जाता है, जो राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत होता है| इस तरह से राज्यपाल दो भूमिकाओं की जिम्मेदारी निभाता है| मूल संविधान में एक राज्य के लिए एक राज्यपाल का ही चुनाव किया गया था, लेकिन 7वें संविधान संशोधन में एक ही व्यक्ति को दो या उससे अधिक राज्यों का राज्यपाल बनाया जा सकता है| भारतीय संविधान के अनुसार, राज्यपाल अपने मन मुताबिक़, कोई भी बड़ा फैसला ले सकता है|
ये भी पढ़े: लोक सभा चुनाव कैसे होता है ?
राज्यपाल की नियुक्ति होती है
किसी राज्य के राज्यपाल को सीधे जनता द्वारा नहीं चुना जाता है और ना ही राज्यपाल का चुनाव राष्ट्रपति की तरह अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है बल्कि, राज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है, लेकिन उच्चतम न्यायालय नें वर्ष 1979 में एक व्यवस्था लागू कर दी थी, जिसके अंतर्गत राज्यपाल केंद्र सरकार के आधीन नहीं हो पाया था, इसके स्थान पर इसे एक स्वतंत्र संवैधानिक पद के रूप में मान्यता दे दी गई थी | दूसरे राज्य के व्यक्ति को राज्यपाल के रूप में नियुक्ति दी जाती है, जिससे वह स्थानीय राजनीति से दूर रह सके| राज्यपाल की नियुक्ति से पहले राष्ट्रपति राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श लेना अनिवार्य है, ऐसा करने से राज्य में संवैधानिक व्यवस्था बनी रहती है |
योग्यता
1.वह भारत का रहने वाला हो
2.उसकी उम्र 35 वर्ष से अधिक हो
ये भी पढ़े: भारत के सभी राज्यों के राज्यपालों की सूची
राज्यपाल के प्रमुख अधिकार क्या है?
1.राज्यपाल को राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति करने का पूरा अधिकार होता है, तथा राज्यपाल राज्य के कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति करता है|
2.राज्यपाल की सहमति प्राप्त होने के बाद ही राज्य का वार्षिक वित्तीय विवरण (राज्य बजट) विधानमंडल में पेश किया जाता है, तथा राज्यपाल की सहमति होने पर ही किसी अनुदान की मांग की जा सकती है| इसके अलावा राज्यपाल के द्वारा ही हर पांच साल में पंचायतों एवं नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने के लिए आयोग का गठन किया जाता है|
3.राज्यपाल को किसी दोषी की सजा में परिवर्तन या पूर्ण रूप से रोक लगाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त होता है, तथा कुछ परिस्थितियों में राज्यपाल अपने मन मुताबिक़ भी कार्य कर सकता है|
4.राज्यपाल को विधानसभा में वह सभी अधिकार दिए जाते है, जो कि राष्ट्रपति को संसद मिलते है, जैसे संदेश भेजने, संबोधन देने आदि|
5.विधानसभा में जब किसी प्रस्ताव को पास कर दिया जाता तो उसे बाद में राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है, राज्यपाल के हस्ताक्षर होने पर ही विधेयक राज्य का कानून बन सकता है|
6.राज्यपाल को धन विधेयक के साथ-साथ अन्य बिलों को पुनर्विचार के लिए वापस भेजने का अधिकार प्राप्त है|
7.राज्य में किसी दल को बहुमत प्राप्त नहीं होने पर राज्यपाल विशेषाधिकार से मुख्यमंत्री का चुनाव करता है |
राज्यपाल का वेतन
राज्यपाल को प्रति माह 3.5 लाख रुपये वेतन के रूप में दिया जाता है, एक से अधिक राज्य के लिए राज्यपाल का वेतन राष्ट्रपति की सलाह के बाद ही निर्धारित किया जाता है|
ये भी पढ़े: भारत के प्रधानमंत्रियों की सूची