Rath Yatra 2019: तो इस कारण से जगन्नाथ भगवान के आंखों पर बांधी जाती है पट्टी

Rath Yatra 2019: 4 जुलाई रथयात्रा का कार्क्रम शुरू हुआ और यह कार्क्रम पूरे 9 दिनों तक चलता रहता है | हर साल की तरह पुरी और देश के अन्य राज्यों में  भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गयी । वहीं इस रथयात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लाखों भक्त पुरी जाते हैं, वहां पहुंचकर भगवान का  रथ खींचकर सौभाग्य की प्राप्ति करते हैं। बता दें कि इस रथयात्रा से पहले मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चारण किये जाते है और साथ में ही भगवान जगन्नाथ का नेत्रोत्सव मनाया गया है। इसके बाद ही भक्तजनों ने प्रभु के दर्शन किए। नेत्रोत्सव से पहले भगवान जगन्नाथ की आंखों पर पट्टी बंधी रहती है। इसलिए आप भी जा लीजिये कि भगवान के आँखों पर किस कारण से पट्टी बाँधी जाती है |

Advertisement

इसे भी पढ़े: Rath Yatra 2019: ‘रथ-यात्रा’ के बारे में जानिए प्रमुख बाते

15 दिनों तक भगवान रहते हैं बीमार  

बता दें कि मान्यता है कि, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा से अमावस्या तक भगवान जगन्नाथजी बीमार रहते हैं और इन 15 दिनों में इनका उपचार शिशु की भांति चलता है, जिसे अंसारा कहा जाता है |

आंखों पर पट्टी बांध दी जाती हैं पट्टी 

कहा जाता है कि जब भगवान बीमार होते हैं तब उनकी आंखों में जलन होती है, जिस वजह से भगवान की आंखों पर पट्टी बांध दी जाती है। यह पट्टी 15 दिन तक बंधी रहती है और इस दौरान मंदिर भी बंद रहता है। जब भगवान भगवान स्वस्थ्य होते हैं तब रथयात्रा पर निकलते हैं।

मंगल आरती के बाद मनाया जाता है  यह उत्सव 

जब भगवान बीमार होते हैं तो मंदिर में कुछ ही लोग अंदर जा सकते हैं | अंदर वहीं लोग जाते हैं जो जगन्नाथजी का इलाज करते हैं। 15 दिन बाद सुबह की मंगला आरती के बाद प्रभु जगन्नाथ, बलराम व देवी सुभद्रा का नेत्रोत्सव मनाया जाता है। नेत्रोत्सव के साथ-साथ मंदिर पर ध्वजा चढ़ाई जाती है और साधु संतों को भोजन कराकर जल्द स्वस्थ की कामना की जाती है।

सभी देवी देवता होते हैं शामिल 

मान्यता है कि, मंदिर के ऊपर लगी ध्वजा भगवान की आंख का काम करती है, जिससे वह अपने भक्तों को देखते हैं। मंदिर का झंडा देखने से भी उतना ही पुण्य मिलता है, जितना प्रभु के दर्शन करने से। जिस दिन रथ यात्रा निकलती है, उस दिन स्वर्ग में मौजूद 33 करोड़ देवी-देवता पृथ्वी पर रथयात्रा में शामिल होते हैं।

सभी देवी-देवता करते हैं फूलों की बारिश 

मान्यता है कि जब भगवान का नेत्रोत्सव का कार्यक्रम चलता है तब स्वर्ग में मौजूद देवी-देवता फूलों की बरसात करते हैं, जो पृथ्वी पर बारिश के रूप में गिरते हैं। जिस दिन रथयात्रा शुरू होती है, उस दिन बारिश जरूर होती है। इसे भी पढ़े: गणेशजी को ही दूर्वा क्यों और कैसे चढ़ाया जाता हैं 

Advertisement