Shab-e-Barat 2019: यह त्यौहार मुस्लिम लोगों के लिए बहुत ही ख़ास होता है | इस्लामी कैलेंडर के अनुसार साल में एक बार शब-ए-बारात की रात शाबान माह की 14 तारीख को सुर्यास्त के बाद से शुरु हो जाती है | मुस्लिम लोगों के लिए यह ऐसी रात होती है जब मुस्लिम समाज दुनिया से रुखसत हो चुके अपने उन रिश्तेदारों की रूह की शांति के लिए खुदा से तहे दिल से फरियाद करते हैं |
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बता दें कि ‘शब-ए-बारात’ इस वर्ष शनिवार 20 अप्रैल को मनाया जाएगा | ‘शब-ए बारात अरबी के दो शब्दों ‘शब’ अर्थात रात और ‘बारात’ मतलब ‘निजात’ से मिलकर बना हुआ है | इसके अतिरिक्त यह लैलतुल बराअत के नाम से भी काफी विख्यात है, जिसका आशय है ‘मगफिरत’ मतलब‘गुनाहों से माफी और निजात की रात’ | 20 अप्रैल की मुसलमानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण रात रहेगी और इस रात दुनिया के सारे मुसलमान खुदा की इबादत करेंगे और अल्लाह से अपने गुनाहों के लिए दुआएं मांगेंगे |
शब-ए-बरात इस्लाम की चार मुकद्दस रातों में से प्रमुख रात होती है. इसमें पहली रात शब-ए-मेराज, दूसरी शब-ए-बरआत और तीसरी शब-ए-कद्र रात होती है |
मान्यता है कि ‘शब-ए-बारात’ की रात अल्लाह प्रत्येक व्यक्ति की जिंदगी के लिए उम्र, असबाब, यश, कीर्ति आदि सब कुछ तय करके देता है |इसलिए इस रात को मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह से अपनों के गलत कर्मों के लिए माफी और उन्हें जन्नत नसीब होने के लिए गुजारिश करते हैं | इस रात को इस्लाम प्रवर्तक हजरत मुहम्मद ने ‘रहमत की रात’ बताया है |
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