‘सुपर वुमेन’: भारत की पहली कमांडो महिला ट्रेनर जो फ्री में देती हैं ट्रेनिंग

विश्व की प्रत्येक महिला के सम्मान में हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस महिला दिवस के अवसर  पर आपको देश की एक ऐसी महिला कमांडर के बारे में बता रहे है, जो बीस वर्षो से निरंतर देश की सेवा कर रही है। इस  महिला कमांडर का नाम डॉ. सीमा राव है । यह देश की पहली और एकमात्र महिला कमांडो ट्रेनर और शूटर हैं, जो पिछले बीस वर्षो से  एयरफोर्स, इंडियन आर्मी, नेवी सहित पैरामिलिट्री फोर्स के कमांडोज को ट्रेनिंग देती हैं| वह यह कार्य निशुल्क करती है | अभी तक  वह लगभग 20 हजार कमांडोज को ट्रेनिंग दे चुकी है ।

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49 वर्षीय डॉ. सीमा राव का नाम उन पांच चुनिंदा महिलाओं में आता है, जिन्हें ‘जीत कुन डो’ मार्शल आर्ट आता है। जिसे 1967 में ब्रूस ली ने ईजाद किया था। सीमा जी  रॉक क्लाइम्बिंग में एचएमआई गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी हैं । डॉ. सीमा का जन्म मुंबई के बांद्रा में हुआ था। उनके माता- पिता प्रो. रमाकांत एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। सीमा तीन बहनें है, जिसमें से वह सबसे छोटी हैं। सीमा की एक बेटी भी है, जिसे उन्होंने गोद लिया हुआ है। सीमा जी नें अपनी बेटी का नाम कोमल रखा है।

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डॉ. राव सशस्त्र बलों के जवानों को आधे सेकंड में किसी को शूट कर देने की ट्रेनिंग देने के लिए भी जानी जाती हैं। इनकी पहचान सिर्फ इतनी ही नहीं है, बहुमुखी प्रतिभा की धनी डॉ. सीमा राव फायर फाइटर, फिल्ममेकर, स्कूबा ड्राइवर और  लेखक भी हैं। सीमा के इस चुनौती भरे सफर को राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर मान्यता प्राप्त है| उन्हें वर्ल्ड पीस कांग्रेस में ‘वर्ल्ड पीस अवॉर्ड’ तथा ‘यूएस प्रेजिंडेंट वॉलेंटियर सर्विस अवार्ड’ से सम्मानित किया जा चुका है| इसके साथ ही मार्शल आर्ट्स पर बनी देश की पहली फिल्म ‘हाथापाई’ की प्रोड्यूसर-डायरेक्टर हैं, और इसमें उन्‍होंने एक रोल भी किया है।

डा० सीमा और उनके पति मेजर दीपक की एक मार्शल आर्ट की एकेडमी भी है। इस ऐकेडमी में भारी संख्या में लोग मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण लेने आते हैं।

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