विप्रो के नए बॉस, अजीज प्रेमजी के बाद अब कौन होंगे क्या उन्हें आप जानते हैं- आप भी पढ़े उनके बारे में

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जानकारी देते हुए बता दें, कि अब विप्रो और भारतीय आईटी इंडस्ट्री के लिए एक युग की समाप्ति हो जाएगी| वहीं अपने पिता की कुकिंग ऑइल कंपनी को 1.8 लाख करोड़ की ग्लोबल आईटी पावरहाउस में बदलने वाले अजीम प्रेमजी 30 जुलाई को रिटायर हो जाएंगे| वहीं ये रिटायरमेंट से ठीक पहले 74 साल के भी पूरे हो जाएंगे| अजीम प्रेमजी  विप्रो ने 53 सालों तक कंपनी  को बहुत ही अच्छी तरह से चलाया,  उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद 1966 में इसका पूरा कारोबार  संभाल लिया था|

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वहीं जब अजीम के पिता हशम प्रेमजी ने वेस्टर्न इंडिया वेजिटेबल प्रॉडक्ट्स लिमिटेड नाम से अमलनेर, महाराष्ट्र में कुकिंग ऑइल कंपनी की शुरुआत की थी| विप्रो की नींव 1945 में ही पड़ गई थी । इसके बाद जब 1966 में  उनकी मृत्यु हुई तो 21 वर्षीय अजीम स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र थे, उन्होंने परिवार के कारोबार को संभालने की जिम्मेदारी उठा ली।

फिर विप्रो ने लगभग  डेढ़ दशक तक तेल के कारोबार को चलाया,  इसके बाद उनका ध्यान टेक्नॉलजी इंडस्ट्री की ओर हो गया। उन्होंने 1980 में कंपनी का नाम बदलकर विप्रो रख दिया। इसके बाद वो आईबीएम के भारत से बाहर गए और वहां पर उन्होंने  पर्सनल कंप्यूटर्स बनाना शुरू कर दिया| इसके साथ ही सॉफ्टवेयर सर्विसेज की बिक्री भी करने लगे| 1989 में उन्होंने अमेरिकी कंपनी जीई के साथ मिलकर मेडिकल इंस्ट्रूमेंट्स बनाने के लिए जॉइट वेंचर की भी स्थापना कर दी|

पूरी की पढ़ाई

बता दें कि विप्रो ने 1990 में आईटी सर्विसेज बिजनस की शुरुवात कर दी| कंपनी का सॉफ्टवेयर बिजनस समय के साथ हार्डवेयर से बहुत आगे पहुँच गया और फिर विप्रो को दूसरे देशों से भी काम  दिया जाने लगा। अजीम प्रेमजी एक बेहद सफल कारोबारी तो बन गए थे, लेकिन उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई जिसके वजह से उन्हें थोड़ी चिंता रहती थी । इसके बाद उन्होंने 1995 में अपनी  पढ़ाई  दोबारा शुरू की और कॉरेस्पोंडेंस क्लासेज के माध्यम से स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इंजिनियरिंग की डिग्री हासिल की|

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साल 2000  अजीम प्रेमजी के कंपनी का विस्तार अमेरिका तक पहुंच गया। न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग के साथ बीपीओ बिज़नेस की शुरुआत की और साथ में ही उन्होंने  समाज सेवा के लिए फाउंडेशन की शुरुआत कर दी|

इसके बाद 2004 में कंपनी का राजस्व 1 अरब डॉलर तक पहुंच गया।फिर  2005 में भी उन्होंने कंपनी के सीईओ का पद का कारोबार संभाला और  दो साल बाद उनके बेटे रिशद प्रेमजी ने भी विप्रो को ज्वाइन कर लिया| उन्होंने फाइनैंशल सर्विसेज डिविजन से अपने सफर की शुरुआत कर दी और 2015 में उन्हें विप्रो बोर्ड में शामिल कर लिया गया|

74 फीसदी हिस्सेदारी

विप्रो में प्रेमजी परिवार की 74 पर्सेंट भागेदारी रही है। पिछले वर्ष विप्रो के सॉफ्टवेयर बिजनेस का रेवेन्यू लगभग 8.5 अरब डॉलर पहुंच गया था| कंज्यूमर गुड्स, इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग और मेडिकल डिवाइसेज के बिजनेस से जुड़ी विप्रो एंटरप्राइसेज ने 2 अरब डॉलर का टर्नओवर पहुंचा था|

दान करनें में सबसे आगे  

देश के उद्योगपतियों में प्रेमजी सबसे अधिक डोनेशन देते हैं। मार्च में उन्होंने विप्रो में अपने शेयर्स में से 34 पर्सेंट अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को देने का ऐलान कर दिया था |  वह अब तक अपनी संपत्ति का 67 पर्सेंट मतलब लगभग 1.45 लाख करोड़ रुपये इस संस्था को दान के रूप में दें चुके हैं।  

‘डायवर्सिफिकेशन में मेरा योगदान’

आमतौर पर कम बातचीत करने वाले प्रेमजी ने दो वर्ष पहले छात्रों के साथ एक मुलाकात में कहा था, ‘विप्रो की शुरुआत मेरे पिता हशम प्रेमजी ने की थी। मुझे लगता है कि मैंने प्रॉडक्ट रेंज बढ़ाने और डायवर्सिफिकेशन में योगदान दिया है।’ विप्रो लिमिटेड के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर और चेयरमैन (बोर्ड गवर्नेंस, नॉमिनेशन एंड कंपनसेशन कमेटी) अशोक एस गांगुली ने कहा, ‘हम प्रेमजी का उनके विजन, उत्कृष्ट नेतृत्व और विप्रो और भारतीय इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को मजबूत बनाने के लिए उनके असाधारण योगदान के लिए धन्यवाद देते हैं।’

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