अभी अयोध्या मामले पर कोई भी अहम फैसला अभी तक नही आ पाया है, जिसका लोगो को बेसब्री से इन्तजार है| इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर बातचीत से हल निकालने के लिए तीन सदस्यीय पैनल बनाया है जिसे 12 मार्च को अयोध्या पहुंचा दिया गया है। वहीं अब 13 मार्च को अवध यूनिवर्सिटी में पैनल की पहली बैठक आयोजित की जायेगी |
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अयोध्या विवाद का मामला मध्यस्थों को सौंपने के लिए तीन सदस्यीय पैनल का गठन किया है। जैसे- जस्टिस फकीर मुहम्मद खलीफुल्ला मध्यस्थता पैनल की अध्यक्षता करेंगे और गुरु श्री श्री रविशंकर आध्यात्मिक तथा वरिष्ठ वकील श्रीराम भी इसमें शामिल हैं। जानकारी देते हुए बता दें कि यह पैनल हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों से बातचीत के माध्यम से विवाद का हल निकालने का प्रयास करेगा। इस प्रक्रिया को आठ सप्ताह में करने के लिए कहा गया है|
पूरी प्रक्रिया गोपनीय होगी’
शुक्रवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने बताया है कि मध्यस्थता प्रक्रिया कोर्ट की निगरानी में की जायेगी और इसे गोपनीय ही रखा जाएगा।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवश्यकता के अनुसार मध्यस्थ और लोगों को पैनल में शामिल किया जा सकता हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार मध्यस्थों को फैजाबाद में सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
पैनल में शामिल होने वाले सदस्य
जस्टिस खलीफुल्ला : ये पहले मद्रास हाईकोर्ट में न्यायाधीश और फिर जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रहे है । इसके बाद 2000 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के तौर नियुक्त हुए और 2011 में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का पद प्राप्त किया |
श्रीराम पंचू : इसके पहले इन्हें असम और नागालैंड के मध्य 500 किलोमीटर जमीन का मामला सुलझाने के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया गया था, जिसे हल करवाने में इनकी अहम भूमिका रही थी |
रविशंकर : ये अयोध्या मामले में मध्यस्थता की निजी तौर पर प्रयास में लगे रहें हैं | इसी सिलसिले में वो पक्षकारों से मिलने के लिए भी गये थे । उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस मसले का हल निकालने के लिए एक फॉर्मूला भी पेश किया था।
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