असम में 40 लाख लोगों के नाम राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मसौदे में नहीं हैं, इसलिए उन्हें डर है, कि कहीं उन्हें मतदान करने पर न रोक दिया जाए| तभी 12 मार्च को चुनाव आयोग ने उनके डर को दूर किया और सुप्रीम कोर्ट में साफ तौर पर कहा, कि मसौदे में नाम न होने पर भी आम चुनाव में ये लोग मतदान कर सकेंगे |
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जानकारी देते हुए बता दें कि 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान आयोग के सचिव को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। याचिका में लिखा था, कि 2019 के लोकसभा चुनाव में काफी श्रेणियों के लोगों कों मतदान करने का अधिकार नहीं दिया जा रहा है। अब दाखिल की गई इस याचिका पर अगली सुनवाई 28 मार्च को की जायेगी।
इसके अतिरिक्त याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने चुनाव आयोग से कहा कि वह जनवरी, 2017, 2018 और 2019 के लिए संशोधित मतदाता सूचियों में शामिल किए गए नामों और उससे हटाए गये नामों का आंकड़ा भी अगली सुनवाई में पेश करें |
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