राजनीति में ब्राह्मण : तब और अब

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अभी हाल ही में जो बवाल श्रीरामचरितमानस को लेकर बनाया गया है और जिस प्रकार से मुट्ठी भर रेत से बवंडर बनाया जा रहा है , दरअसल ये सब जातिवादी राजनीति के तरीके हैं जिससे ब्राह्मण समाज के खिलाफ अन्य जातियों  के समाज को भड़काया जा रहा है ताकि वोटो का गणित साधा जा सके, क्योंकि संख्या जिधर ज्यादा होगी है लोकतंत्र उधर घूम जायेगा और इस तरह लोकतंत्र तो संख्या गणित से ही चलता है। अगर आप ध्यान से अपने आस पास देखे तो ऐसा ही पाएंगे। ब्राह्मणों को शोषक के रूप में समाज मे स्थापित करने का षड्यंत्र कोई आज नया नहीं है ये बहुत पहले से सुनियोजित तरिके से किया जा रहा है।

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इसका केवल एक ही कारण मुझे समझ में आता है कि कभी इसका खुलके ब्राह्मण समाज द्वारा विरोध न जाताना, साथ ही ब्राह्मण समाज की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि इस समाज का कोई एक नेता नहीं है अतः कोई दिशा नहीं है और दिशाविहीन समाज धीरे धीरे अस्तित्वविहीन होने की राह पर चल पड़ता है बस इसी का फायदा उठाया जा रहा है ।

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भारतीय राजनीति के इस दौर में भारत के पिछड़े नेता वह प्रयोग करने को प्रयासरत हैं जो आज से लगभग 100 वर्ष पहले यूरोप में हुए और जिसके भयानक परिणाम सामने आए। जिस प्रकार नाजियों ने जर्मनी और संपूर्ण यूरोप की बर्बादी का कारण यहूदियों को बताया और मौका मिलने पर उनका नरसंहार भी किया ठीक इसी तर्ज पर भारत के कथित दलित एवं पिछड़े समाज के नेता समस्त बुराइयों, हर बुरी प्रथा तथा हर बुरी घटना का जिम्मेदार ब्राह्मणों को बताते हैं और ब्राह्मणों के खिलाफ बोल कर अपने अल्प ज्ञान वोटरों को एकजुट करके विधायक ,सांसद और मुख्यमंत्री बनते हैं ।

उनकी इन सब तमाम कोशिशों का परिणाम यह हुआ एक बहुत बड़ा समाज आज ब्राह्मणों को खलनायक और अपनी बर्बादी के कारण के रूप में देखता है। 1984 में जिन ब्राह्मणों का प्रतिनिधित्व लोकसभा में 20% के ऊपर था आज वह मात्र 8% रह गया है और यह समाज आज नेतृत्व विहीन हो गया है नेता के नाम पर ब्राह्मण समाज के हिस्से में बस चंद चापलूस रह गए हैं। आज ब्राह्मण समाज के युवा सरकारी नौकरियों से दूर सिक्योरिटी गार्ड, रिक्शा चालक होटल में वेटर आदि का कार्य कर रहे हैं बचपन से ही उनका पिता यह बता देता है कि सरकारी नौकरी तुम्हारे लिए नहीं है क्योंकि आरक्षण का दानव उनका भविष्य खा गया है और समाज में दबके रहने की नसीहत उसके रिश्तेदार भी दे देते हैं वरना हरिजनएक्ट नाम का कानून उनकी जिंदगी बर्बाद कर देगा । ऐसा मैं सभी के लिए नहीं कह रहा हूँ लेकिन अधिकतर मैंने ऐसा अनेको परिवारों को कहते और झूठे हरिजन एक्ट से परेशानी में आते देखा है।

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अब ब्राह्मण समाज को राजनीतिक रूप से एकजुट होकर अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़नी होगी क्योंकि ब्राह्मण तो सब की बात करता है लेकिन ब्राह्मण की बात करने कोई नहीं आता। दुर्भाग्य है कि भारत में  “ब्राह्मण विदेशी हैं और इन्हें देश से भगाओ” की आवाजें भी अब आने लगी है।  ये आवाजे किधर से निकली है ये जग जाहिर है इसको बताने की आवश्यकता नहीं है, यह न केवल ब्राह्मण समाज के लिए अपितु  संपूर्ण समाज के लिए खतरे की घंटी है जिन्हें मेरी बात अतिशयोक्ति अलंकार से प्रभावित लगती है उन्हें एक बार #कश्मीरीब्राह्मणों का इतिहास जरूर पढ़ लेना चाहिए । पर इस घनघोर अंधेरे में सिर्फ आशा की किरण ये है कि मेरी इस बात को पत्थर की लकीर समझ लेना कि जिस दिन ब्राह्मण समाज के पास उसका एक अविवादित नेता हो गया और अपने अस्तित्व की लड़ाई  अपने समाज के लिए लड़ेगा साथ ही झूठे और भ्रामक तथ्यों द्वारा जो ब्राह्मण समाज के खिलाफ प्रोपोगंडा फैलाया जा रहा उस पर आवाज उठाएगा उस दिन फिर से ब्राह्मण समाज पुनः अपना स्थान सम्पूर्ण भारत मे प्राप्त करेगा ।

लेखक

पंकज द्विवेदी 

(अध्यक्ष, आर्यन पार्टी लखनऊ )

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