कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भी इस साल नॉवेल कोरोना वायरस का असर देखने को मिल रहा है । कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर असमंजस बना हुआ है । चीन से सीधा संबंध होने के वजह से यात्रा सवाल युक्त है । विश्व भर में नोवल कोरोना वायरस को लेकर सतर्कता देखते हुए लगता है कि इस साल यात्रा बेहद कठिन रहेगी । अगर इस साल यात्रा नहीं होती है तो लगभग चार दशकों में यह पहला मौका रहेगा ।
आपको बता दें कि केएमवीएन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा की आरम्भ 1981 में किया था । पहले साल सिर्फ 3 समूह में 59 यात्रियों के साथ यात्रा की थी । 2019 में 18 समूहों में लगभग 949 यात्री इस यात्रा में शामिल हुए । 1998 के मालपा दुर्घटना में निगम प्रबंधक विनोद लोहनी, पदमेश शर्मा, कुक जोध सिंह, चौकीदार राम सिंह, हेल्पर के बिष्ट की मृत्यु हो गई थी । इस समय मात्र 11 समूहों ने यात्रा की थी । 2004 में सार्स के चलते शुरवाती 5 समूहों ने यात्रा पूरी की थी । 2013 में आपदा आ जने से रास्ता ख़राब होने के वजह से पहले व दूसरे समूह ने यात्रा पूरी कर पायी थी ।
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पिछले साल 22 फरवरी को विदेश मंत्रालय की तरफ से बैठक बुलाई गई थी । इसमें एमईए की तरफ से पिथौरागढ़ जिला प्रशासन, आईटीबीपी, एसएसबी, कुमविनि की बैठक लेकर उन्हें आदेश दिए गए थे । पहले से देखा जा रहा है कि मार्च माह में कैलाश मानसरोवर यात्रा की पंजीकरण की शुरुआत हो जाती है, वल्कि अप्रैल माह में पंजीकरण के पश्चात सूची को अंतिम रूप दे दिया जाता है । अप्रैल महीने से निगम की रैकी दल कैलाश मानसरोवर यात्रा के रस्ते में आने वाले आवास गृह की सजावट, मरम्मत, खाद्यान्न, सामान ढुलान की रूपरेखा तैयार की जाती है । इसके पश्चात यातायात व्यवस्था व माल ढुलान के टैंडर आदि दिए जाते हैं ।
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विदेश मंत्रालय की तरफ से अभी तक कोई बैठक नहीं हुई है । विभागीय स्तर से जानकारी प्राप्त हुआ है कि अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में बैठक बुलाने की संभावना जताई जा रही है । लेकिन ऐसा कोई लिखित आदेश नहीं है ।
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