इसरो के रडार इमेजिंग पृथ्वी निगरानी सैटलाइट ‘आरआईसैट-2 बी’ मिशन को मिली सफलता

बुधवार 22 मई को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने  लांच व्हीकल पीएसएलवी-सी46 से पृथ्वी की निगरानी करने वाले रडार इमेजिंग उपग्रह रिसेट-2बी का सफल प्रक्षेपण कर लिया हैं | इसरो ने यह सफल प्रक्षेपण बालाकोट एयर स्ट्राइक के एक महीने बाद कर दिखाया है, और इसमें बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है|

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इसरो सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, उपग्रह का प्रक्षेपण यहां से लगभग  80 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा से बुधवार 22 मई सुबह पांच बजकर 30 मिनट पर फर्स्ट लांच पैड से किया गया। यह तीन सौ किलोग्राम आरआईएसएटी-2बी(रिसेट-2बी) इसरो के आरआईएसएटी कार्यक्रम का चौथा चरण है और इसका प्रयोग रणनीतिक निगरानी और आपदा प्रबंधन के लिए होगा| यह उपग्रह एक सक्रिय एसएआर (सिंथेटिक अर्पचर रडार) से जुड़ा हुआ है|

यह सफल होने वाला सेंसर ‘एसएआर’ से लैस यह उपग्रह दिन हो या रात, बारिश या बादल छाये रहने के दौरान अंतरिक्ष से एक विशेष तरीके से पृथ्वी की निगरानी में सक्षम हो सकता है। जबकि वहीं बादल छाये रहने या अंधेरे में ‘रेगुलर’ रिमोट-सेंसिंग या ऑप्टिकल इमेजिंग उपग्रह पृथ्वी पर छिपे वस्तुओं का पता नहीं लगा पाता है|

इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. शिवन ने बुधवार 22 मई को जानकारी देते हुए कहा कि, लांच व्हीकल पीएसएलवी-सी46 से सफलतापूर्ण प्रक्षेपित पृथ्वी की निगरानी करने वाले रडार इमेजिंग उपग्रह रिसेट-2बी में कई विशेषताएं हैं।

डॉ. शिवन ने सफल मिशन के बाद वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा,”मुझे यह कहते हुए बेहद खुशी हो रही है, कि पीएसएलवी-सी46, रिसेट-2बी उपग्रह को 555 किलोमीटर की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक निर्दिष्ट कक्षा में 37 डिग्री झुकाव के स्थापित कर दिया। इसी के साथ कहा, ‘यह मिशन इस मायने में महत्वपूर्ण है, कि पीएसएलवी ने अंतरिक्ष में 50 टन ले जाने की रिकॉर्ड को पार किया है। यह अब तक 350 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया है, जिनमें से 47 राष्ट्रीय उपग्रह हैं और शेष छात्र एवं विदेशी उपग्रह हैं।’ आगे कहा कि रिसेट-2 बी उपग्रह एक सिंथेटिक अर्पचर रडार(एसएसआर) से लैस है, जो पृथ्वी की निगरानी की क्षमता को बढ़ाता है।

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