कुशीनगर लोकसभा चुनाव का अब तक इतिहास, क्या है चुनावी समीकरण

Kushinagar Lok Sabha Election- 2019

Advertisement

‘कुशीनगर’ का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन और गौरावशाली रहा है| यह भगवान बुद्ध और महावीर स्वामी की परिनिर्वाण भूमि है|  रामायण के अनुसार कुशी नगर भगवान श्रीराम के पुत्र कुश की राजधानी थी और तब इसका नाम कुशावती था| कुशीनगर इसलिए भी ख़ास है, क्योंकि यहीं पर उत्तर भारत का इकलौता सूर्य मंदिर है।

उत्तर प्रदेश के 80 संसदीय सीटों में से कुशीनगर संसदीय सीट भी शामिल है, जिसकी सीट संख्या 65 है| कुशीनगर संसदीय सीट उस समय अस्तित्व में आया जब वर्ष  2002 में गठित परिसीमन आयोग की ओर से इस क्षेत्र को नए संसदीय सीट बनाए जाने का सुझाव को अमल में लाया गया| पहले यह संसदीय क्षेत्र पडरौना के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में कुशीनगर को संसदीय सीट का दर्जा प्राप्त हुआ और यहां हुए पहले चुनाव में कांग्रेस ने अपना खाता खोला|

नोट-  कुशीनगर लोकसभा सीट के लिए चुनाव 19 मई 2019 को कराये जायेंगे|

ये भी पढ़े: गोरखपुर लोकसभा सीट का जातीय समीकरण, इतिहास, अब तक सबसे अधिक किस पार्टी का वर्चस्व रहा कायम

कुशीनगर लोकसभा का चुनावी इतिहास

कांग्रेस के टिकट पर 1980 और 1984 में रतनजीत प्रताप नारायण सिंह के पिता सीपीएन सिंह ने लोकसभा चुनाव जीता था| 1977 (जनता दल) को छोड़ दिया जाए, तो 1984 तक हर बार कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की| 1989 में भी जनता दल ने फिर से चुनाव जीता, लेकिन इसके बाद 1991 से 1999 तक लगातार 4 बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर राम नगीना मिश्रा ने जीत हासिल की| 2004 में नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के बलेश्वर यादव ने जीत हासिल की थी| 2014 में बीजेपी फिर से जीतने में कामयाब रही|

कुशीनगर लोकसभा सीट में उत्तर प्रदेश विधानसभा की पांच सीटें आती हैं, जिनके नाम हैं खड्डा, हाटा, पडरौना, रामकोला और कुशीनगर, जिसमें रामकोला की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। कुशीनगर जिले में कुल 1,639 गांव, 8 शहर और चार तहसील पडरौना, हाटा, तमकुही राज और कास्यं आते हैं।

कुशीनगर की जनसँख्या

यहां की कुल आबादी 35,64,544 लाख है| जिनमें पुरुषों की संख्या 18,18,055 लाख पुरुष और महिलाओं की संख्या 17,46,489 लाख है, तो वहीं यहां अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 15.27% और अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्यां 2.25% है।

वर्ष का लोक सभा चुनाव

वर्ष  2014 में यहां पर 1680992 मतदाताओं ने मतदान किया था, जिसमें 55 प्रतिशत पुरुष और 44 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। उस समय कांग्रेस दूसरे, बसपा तीसरे और सपा चौथे नंबर पर रही थी|  डुमरियागंज में हिंदुओं की संख्या 82 प्रतिशत और मुस्लिमों की संख्या 17 प्रतिशत है| यह हिंदू बाहुल्य क्षेत्र है, जिसका लाभ वर्ष  2014 के चुनाव में भाजपा को मिला था | कुशीनगर में आज भी गन्ना किसानों की स्थिति संतोषजनक नहीं है, यहां मूलभूत साधनों की भी कमी है, विकास की गति काफी धीमी है और आज भी यहां के युवागण शिक्षा और रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

चुनावी समीकरण

पिछले लोकसभा की अपेक्षा सभी राजनीतिक दल समीकरण को नए तरीके से लुभानें में प्रयासरत हैं। बसपा और सपा अब हाथ मिलाकर मैदान में हैं, और भाजपा के सामने अपनी सीट बचाए रखने की चुनौती है, अर्थात राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदला गया है, हालाँकि बसपा और सपा ने यहाँ से जीत का स्वाद नहीं चखा। लोकसभा चुनाव में पहली बार उनका गठबंधन मैदान में होगा तो भाजपा व कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट पर काबिज होने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।

ये भी पढ़ें: कानपुर लोकसभा चुनाव में किन प्रत्याशियों की है सीधी टक्कर, क्या है यहाँ के मुद्दे

Advertisement