उन्नाव लोकसभा सीट का जातीय गणित क्या है , किसके बीच होगा कड़ा मुकाबला

Unnao Lok Sabha Election- 2019

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स्वतंत्रता के बाद से 2014 तक उन्नाव संसदीय सीट पर 16 बार आम चुनाव और एक बार उपचुनाव हुए हैं। इनमें से कांग्रेस 9 बार जीतने में सफल रही, जबकि चार बार बीजेपी जीत चुकी है, और सपा, बसपा और जनता पार्टी एक-एक बार जीतने में सफल रही हैं। उत्तर प्रदेश की उन्नाव लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के साक्षी महाराज हैं। उन्होंने वर्ष  2014 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के अरुण शंकर शुक्ला को 310173 वोटों से हराया। इस चुनाव में सपा दूसरे, बसपा तीसरे और कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी।

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यूपी की उन्नाव लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधान सभा क्षेत्र आते हैं। इनके नाम बांगरमऊ, सफीपुर, मोहान, उन्नाव, भगवंतनगर और पुरवा हैं। सफीपुर और मोहान सीट, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

नोट- उन्नाव लोकसभा सीट के लिए चुनाव 29 अप्रैल 2019 को कराये जायेंगे|

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जातीय गणित और चुनावी मुकाबला

सभी राजनीतिक दलों ने उन्नाव लोकसभा सीट से अपने प्रत्याशियों के नाम जारी कर दिए हैं। भाजपा ने एक बार फिर साक्षी महाराज को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने फिर अन्नू टंडन को टिकट देकर मैदान में उतारा है। सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट सपा के कोटे में गई है, और सपा ने इस सीट पर अरुण शंकर शुक्ला को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है, हालाँकि कांग्रेस से अन्नू टंडन भी इस चुनावी मुकाबले में पीछे नही है|   

इस लोकसभा सीट पर इस बार दलित, सवर्ण और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में होंगे। लगभग 2177082 मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र में 13.63 लाख वोट दलित, सवर्ण और अल्पसंख्यक जाति से हैं, और यही मतदाता इस सीट पर विजेता का निर्णय करेंगे।वैसे पिछड़ी जाति के मतदाता भी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। इस लोकसभा सीट पर पिछड़ी जाति की हिस्सेदारी 8.14 लाख है, परन्तु  भाजपा और सपा दोनों प्रमुख दलों ने पिछड़ी जाति के उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। इस कारण इस वोट बैंक में बंटवारा होना तय माना जा रहा है।

पिछले तीन चुनावों में इस सीट पर 2004 और 2009 में सवर्ण तथा 2014 में पिछड़ी जाति के प्रत्याशी साक्षी महाराज की जीत हुई थी। लोकसभा चुनाव में जाति के आधार पर बंटते वोटों की गणित से राजनीति किसी भी ओर करवट बदल सकती है। 

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