लखनऊ लोकसभा चुनाव में किसकी है कांटे की टक्कर, क्या कहती है यहाँ की जनता

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Lucknow Lok Sabha Election- 2019

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अहम लोकसभा सीट है| यहाँ से देश के कई शीर्ष नेता संसद पहुंचते रहे हैं| भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अतिरिक्त इस सीट ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित, नेहरू जी की सलहज शीला कौल और देश के प्रमुख विपक्षी नेताओं में से एक रहे, हेमवती नंदन बहुगुणा भी इसी सीट से संसद तक पहुंचे है|

नोट:- लखनऊ में मतदान चौथे चरण के अंतर्गत 6 मई को होगा|

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लखनऊ लोकसभा चुनाव में कांटे की टक्कर  

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भारतीय जनता पार्टी से केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को प्रत्याशी बनाया गया है| अभी तक कांग्रेस ने इस सीट के लिए अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है| राजनाथ सिंह के सामने लखनऊ से कांग्रेस या सपा-बसपा गठबंधन से कौन प्रतिद्वंदी होगा अब तक तय नहीं है|

बीजेपी के लिए लखनऊ सीट काफी प्रतिष्ठित सीट है, क्योंकि यहां से सिर्फ राजनाथ सिंह ही सांसद नहीं हैं, जो दोबारा जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं, बल्कि इस पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी सांसद रह चुके हैं| विपक्ष की ओर से अब तक कोई उम्मीदवार राजनाथ सिंह के खिलाफ सामने नहीं आया है, जबकि नामांकन की तारीख अगले दो दिनों में समाप्त हो जाएगी, जहां 6 मई को मतदान होंगे|

लखनऊ सीट भाजपा के पास करीब दो दशकों से है. इस सीट पर भाजपा ने एक बार फिर राजनाथ सिंह को मैदान में उतारा है. 2014 में राजनाथ सिंह इस सीट से भारी मतों से जीते थे. हालांकि, अभी कांग्रेस और सपा-बसपा-रालोद गठबंधन ने कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है|

क्या है चुनावी मुद्दे  

सभी पार्टियों नें जनता को लुभानें के लिए अपनें अलग- अलग मुद्दे बनाये है, परन्तु नेताओं के भाषणों में आम जनता की समस्या क्या है ? उसका निराकरण क्या होना चाहिए ? जनता क्या चाहती है। उसे कैसे पूरा किया जाए ? इसका कोई जवाब नहीं मिल रहा। इन तमाम मुद्दों पर राजनेता बोलने से बच रहे हैं । सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी सोच के साथ चुनावी रथ पर सवार हैं। जनता के मुद्दे दरकिनार हैं। भाजपा, कांग्रेस और सपा-बसपा सभी के सभी अपनें मुद्दों को लेकर चुनाव मैदान में हैं। यह पहला चुनाव है, जो बिना किसी ठोस और अहम मुद्दों के साथ लड़ा जा रहा है।

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