अभी कुछ समय पहले ही गठबंधन में शामिल जवान तेज बहादुर यादव ने पीएम मोदी के खिलाफ पर्चा दाखिल किया, लेकिन अब उस नामांकन पत्र को खारिज कर दिया गया है | अब वो इस नामांकन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकते है |
जानकारी देते हुए बता दें की मंगलवार 30 अप्रैल को वाराणसी के जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेन्द्र सिंह ने तेज बहादुर यादव के नामांकन पत्र के दो सेटों में ‘कमियां’ ढूढ़ निकाली और इसके बाद उन्होंने बुधवार 1 मई को 11 बजे तक अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए कह दिया था | इसके पहले तेज बहादुर यादव ने 24 अप्रैल को निर्दलीय और 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर पर नामांकन दाखिल किया था उन्होंने बीएसएफ़ से बर्खास्तगी को लेकर दोनों नामांकनों में अलग अलग दावे पेश किये थे | जिसके कारण जिला निर्वाचन कार्यालय ने यादव को नोटिस जारी कर दिया और साथ में ही अनापत्ति प्रमाण पत्र जमा करने के लिए कहा|
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इसके बाद जिला मजिस्ट्रेट सुरेन्द्र सिंह ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 और धारा 33 का हवाला देते हुए कहा कि, “तेज बहादुर यादव का नामांकन इसलिये स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि वह निर्धारित समय में “आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत नहीं कर सके” |
बता दें कि अधिनियम की धारा 9 के तहत उन्होंने राष्ट्र के प्रति निष्ठा नहीं रखा और भ्रष्टाचार के लिये पिछले पांच वर्षों के भीतर केंद्र या राज्य सरकार की नौकरी से बर्खास्त व्यक्ति को चुनाव लड़ने पर रोक लगा देती है है | धारा 33 के तहत उम्मीदवार को चुनाव आयोग से एक प्रमाण पत्र मिलना जरूरी रहता है | जिला मजिस्ट्रेट ने दावा किया कि तेज बहादुर यादव और उनकी टीम को “पर्याप्त समय” दिया गया था, लेकिन वह दस्तावेज पेश नहीं कर पाए|
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