अब डिमांड में नरमी से निपटने की कोशिशें की जायेंगी जिसके तहत गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के स्ट्रक्चर में परिर्वर्तन किया जाएगा और इसके सबसे ऊंचे 28 प्रतिशत के स्लैब से कई आइटम हटाए जा सकते हैं| कुछ राज्यों ने टैक्स रेट घटाने का समर्थन करते हुए चिंता जताई है और कहा है कि, सुस्ती का दायरा बढ़ सकता है। इतना ही उन्होंने अपनी यह राय केंद्र सरकार को के सामने भी प्रस्तुत कर दी है|
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वहीं अब 5 जुलाई को पेश किए जाने वाले आम बजट से पहले ही 20 जून को जीएसटी काउंसिल की बैठक भी की जा सकती है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहीं निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में काउंसिल की पहली बैठक आयोजित की जाएगी|
आयोजित की जा रही इस बैठक में इलेक्ट्रिॉनिक इनवॉयसिंग शुरू करने के प्रस्ताव पर भी विचार विचार-विमर्श किया जा सकता। इसके अलावा काउंसिल एंटी-प्रॉफिटियरिंग फ्रेमवर्क का विस्तार करने पर चर्चा हो सकती है। इस फ्रेमवर्क का दायरा नोटिफिकेशन के माध्यम से बढ़ाये जाने की पूरी संभावना हैं|
टैक्स रेट में कमी करने का दबाव डाल सकने वाले एक राज्य के एक सीनियर अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा, ‘डिमांड में सुस्ती साफ दिख रही है। इस मोर्चे पर जल्द कदम उठाने होंगे।’ इसी के साथ कहा, ‘इस सुस्ती का दायरा बढ़ सकता है। नौकरियों पर आंच आ रही है।’
ऑटोमोबाइल्स को 28 प्रतिशत जीएसटी वाले ब्रैकेट में रख दियस गया है। गाड़ियों पर उनके आकार और सेगमेंट के अनुसार, कंपनसेशन सेस भी लगाया जाता है। रेट घटाने से कीमत कम काम हो जाएगी जिससे कंज्यूमर्स मुट्ठी ढीली कर सकता है| इस संबंध में आखिरी फैसला राजस्व की स्थिति के मुताबिक़ किया जाएगा| एक सरकारी अधिकारी ने हालांकि कहा कि इकनॉमी की हालत को ज्यादा अहमियत दी जाएगी क्योंकि सुस्ती देर तक बने रहने से भी राजस्व पर ही असर पड़ना है।
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