बजट 2019: ई-वॉलिट को भी टैक्स छूट स्कीमों के दायरे में लाने की हो रही मांग

0
298
स्रोत : इन्टरनेट फोटो

केंद्र सरकार से ई-वॉलिट को भी टैक्स छूट स्कीमों के दायरे में लानी की मांग की जा रही है यह मांग छोटे व्यापारियों और दुकानदारों ने सरकार से की है, क्योंकि डिजिटल पेमेंट खासकर मोबाइल वॉलिट को छोटे व्यापारी और दुकानदार तेजी के साथ अपना रहें हैं |

Advertisement

आपको बताते चले कि केंद्र सरकार पहली फरवरी को अंतिम बजट पेश करने जा रही  है जिस पर व्यापार संगठनों ने सरकार से कहा है कि मोबाइल वॉलिट, सभी पेमेंट ऐप्स और क्रेडिट कार्ड को 2 करोड़ से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए लागू प्रिजम्टिव टैक्स स्कीम के दायरे में लाया जाए । इसके अतिरिक्त कहा कि सामान्य स्कीम के तहत कारोबारी की इनकम उसके टर्नओवर का 8 पर्सेंट मानी जाती है लेकिन वहीं डिजिटल पेमेंट पर यह 6 पर्सेंट ही मानी जाती है।  

इन लोगों ने भी की मांग

भारतीय उद्योग व्यापार मंडल (बीयूवीएम) के प्रेसिडेंट श्याम विहारी मिश्रा और विजय जैन ने कहा है कि प्रिजम्टिव स्कीम के तहत 2 पर्सेंट की छूट डिजिटल पेमेंट के नाम पर मिली थी, परन्तु अभी यह स्कीम केवल ऑनलाइन पेमेंट और डेबिट कार्ड तक ही रखी गई है, जबकि व्यवहार में मोबाइल वॉलिट का चलन तेजी के साथ बढ़ा हुआ  है। इस तरह का भुगतान छोटे कारोबारी अधिक ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने स्कीम में शामिल टर्नओवर सीमा भी 2 से 5 करोड़ करने की मांग की है |

वित्त मंत्री को सीटीआई कन्वेनर बृजेश गोयल ने पत्र भेजकर कहा है कि दो साल पहले कैश पेमेंट की सीमा 20 हजार से घटाकर 10 हजार कर दी गई थी, जो अभी भी चल रही है यह पेमेंट की सीमा छोटे कारोबारियों के लिए भी काफी कम है । इसके अतिरिक्त उन्होंने सरकार से इनकम टैक्स छूट की सामान्य सीमा 5 लाख तक करने की मांग रखी है और 20 लाख तक इनकम पर टैक्स की दर अधिकतम 20% करने की मांग रखी है |    

संगठन के जनरल सेक्रेट्री प्रवीण खंडेलवाल ने सरकार से मांग की है कि नोटबंदी के बाद लाखों की तदाद में व्यापारियों ने डिजिटल पेमेंट अपने नाम कर लिया है, परन्तु वहीं अब भी बैंक ऐसे ट्रांजैक्शंस पर 1-2 पर्सेंट चार्जेज ले रहे हैं। इससे भी हमें छुटकारा मिलना चाहिए | उन्होंने ट्रेडर्स के लिए सोशल सिक्योरिटी स्कीम के तहत बीमा और पेंशन प्राप्त होने की मांग की है |  

Advertisement