भारत में लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए संसदीय व्यस्था को अपनाया गया है, इसके अंतर्गत जनता के द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसके सदस्य चुने जाते है, यही सदस्य देश के लिए नीति का निर्धारण करते है, सदस्य चुनने की प्रक्रिया को मतदान करना कहा जाता है, सम्पूर्ण चुनाव प्रक्रिया को पूरा करने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है, चुनाव आयोग एक स्वतंत्र निकाय है, सरकार इसके कार्य में किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप नहीं कर सकती है |
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चुनाव के प्रकार
भारत को प्रशासनिक स्तर पर कई भागों में विभाजित किया गया है, उसी के अनुसार चुनाव संपन्न कराये जाते है |
- राष्ट्रपति चुनाव
- उपराष्ट्रपति चुनाव
- लोकसभा चुनाव
- राज्य सभा चुनाव
- विधान सभा चुनाव
- विधान परिषद् चुनाव
- निकाय चुनाव
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चुनाव कौन लड़ सकता है ?
चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए, प्रत्येक चुनाव के लिए आयु सीमा अलग-अलग होती है | चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में होना अनिवार्य है, यदि आप लोकसभा का चुनाव लड़ रहे है, तो आपका नाम भारत के किसी राज्य की मतदाता सूची में होना चाहिए, अगर आप विधान सभा का चुनाव लड़ रहे है, तो आपका नाम उसी राज्य की मतदाता सूची में होना अनिवार्य है | यदि आप निकाय चुनाव लड़ना चाहते है, तो आप का नाम सम्बंधित क्षेत्र की मतदाता सूची में नाम होना चाहिए |
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चुनाव लड़ने के तरीके
चुनाव आयोग चुनाव की तारीखें घोषित करता है, इसके बाद चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव में भाग लेने के लिए नामांकन को भरवाया जाता है, जो प्रत्याशी चुनाव में भाग लेना चाहते है, उन्हें निर्धारित समय के अंदर अपना नामांकन भरना होता है |
नामांकन भरने के बाद निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन के अनुसार प्रत्याशी चुनाव प्रचार कर सकता है | इसके बाद निर्धारित तिथि को मतदान कराया जाता है, जो प्रत्याशी अधिक मत को प्राप्त करता है, उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है, आप इस प्रकार चुनाव लड़ सकते है
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चुनाव लड़ने के लिए उम्र
भारत में चुनाव लड़ने की आयु इस प्रकार है-
चुनाव | न्यूनतम आयु |
राष्ट्रपति चुनाव | 35 वर्ष |
उपराष्ट्रपति चुनाव | 35 वर्ष |
लोकसभा | 25 वर्ष |
राज्य सभा चुनाव | 30 वर्ष |
विधान सभा चुनाव | 25 वर्ष |
विधान परिषद् चुनाव | 30 वर्ष |
निकाय चुनाव | 21 वर्ष |
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चुनाव लड़ने की योग्यता
चुनाव लड़ने की योग्यता इस प्रकार है-
- वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो |
- आप जिस चुनाव को लड़ना चाहते है, उसके हिसाब से आपकी आयु होना अनिवार्य है |
- चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से असमर्थ, व दिवालिया न हो |
- आप जिस चुनाव में भाग लेना चाहते है, उसके हिसाब से आपका नाम मतदाता सूची में हो |
- चुनाव लड़ते समय व्यक्ति कोई लाभ के पद पर न हो |
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चुनाव लड़ने की प्रक्रिया
चुनाव लड़ने की प्रक्रिया इस प्रकार है-
- चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की तिथि की घोषणा करना
- जो प्रत्याशी चुनाव लड़ना चाहते है, उनके द्वारा निर्धारित तिथि के अंदर नामांकन पत्र का भरना |
- नामांकन भरने के बाद निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव चिन्ह प्रदान करना |
- चुनाव चिन्ह प्राप्त करने के बाद प्रत्याशी द्वारा चुनाव आयोग की गाइड लाइन के अनुसार चुनाव प्रचार किया जाता है |
- प्रचार की अवधि समाप्त होने के बाद चुनाव का प्रचार प्रत्याशी द्वारा बंद कर दिया जाता है |
- चुनाव आयोग के द्वारा निर्धारित तिथि को मतदान कराया जाता है |
- सभी मतदाता अपने पसंद के उम्मीदवार को मत देते है |
- चुनाव आयोग के द्वारा निर्धारित तिथि को मतगणना कराई जाती है |
- मतगणना के बाद चुनाव आयोग परिणाम घोषित करता है |
- जिस प्रत्याशी को अधिक मत प्राप्त होते है, उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है |
- विजयी उम्मीदवार को चुनाव आयोग के द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है |
- सभी विजयी उम्मीदवार को अधिकार प्राप्त व्यक्ति से शपथ ग्रहण कराई जाती है |
इस प्रकार से चुनाव लड़ने की प्रक्रिया पूरी होती है |
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चुनाव लड़ने का अधिकार
भारत में वह सभी व्यक्ति चुनाव लड़ सकते है, जो जनप्रतिनिधित्व कानून के अंतर्गत आते है, वर्तमान समय में जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के अनुसार आपराधिक मामले में दो साल या इससे अधिक की सजा पाने वाले जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किये गए |
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रमुख निर्देश
- प्रत्येक उम्मीदवार को नामांकन पत्र के साथ शपथपत्र जमा करना होगा | शपथपत्र में प्रत्याशी के आरोपों को मोटे अक्षरों से लिखा जाना चाहिए |
- प्रत्येक राजनीतिक पार्टी अपने उम्मीदवारों पर लगे आरोपों की जानकारी वेबसाइट और मीडिया के माध्यम से जनता को अनिवार्य रूप से देंगी | जब उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर देता है, उसके बाद पार्टी के द्वारा न्यूनतम तीन बार यह जानकारी देनी होगी है |
- जनता अपने प्रत्याशी के इतिहास को जानने का अधिकार रखती है, पार्टी की वेबसाइट पर इसकी सही- सही सूचना प्रदर्शित करना होगा |
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नियम
- भारत के संविधान में भाग 15 में अनुच्छेद 324 से अनुच्छेद 329 तक निर्वाचन के विषय में बताया गया है | अनुच्छेद 324 के अंतर्गत निर्वाचन आयोग को निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण करने का अधिकार प्रदान किया गया है |
- भारत के संविधान में अनुच्छेद 71 और 327 में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति , संसद और हर राज्य के लिए राज्य विधायिकाओं के चुनाव के लिए कानून बनाने के लिए अधिकार संसद को दिया गया है |
- अनुच्छेद 243 K और 243 ZA में नगर पालिकाओं, पंचायतों और अन्य स्थानीय निकायों के लिए चुनाव कराने संबंधी कानून बनाने का अधिकार राज्य विधायिकाओं को दिया गया है |
- चुनाव लड़ने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून को बनाया गया है, इसके अंतर्गत धारा 123(3) के अनुसार यदि कोई प्रत्याशी या उम्मीदवार धर्म, जाति, समुदाय या भाषा के नाम पर किसी को मत देने को कहता है या मत देने से रोकता है तो उसे कानून में भ्रष्ट आचरण के रूप में माना गया है, इस परिस्थिति में प्रत्याशी के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हो सकती है |
- धारा 123 (3ए) में स्पष्ट उल्लेख किया गया है, कि यदि कोई व्यक्ति चुनाव के दौरान धर्म जाति समुदाय या भाषा के नाम पर लोगों की भावनाएं भड़काता है, तो उसे भ्रष्ट आचरण मानते हुए चुनाव आयोग के नियमानुसार कार्यवाही की जाती है |
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जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के अनुसार निर्वाचन क्षेत्र में मतदान पूरा होने से 48 घंटे पूर्व रेडियो, टेलीविज़न अथवा किसी अन्य प्रचार सामग्री (‘चुनावी तथ्य’) के द्वारा चुनाव प्रचार करना निषेध किया गया |
- धारा 126 में ‘चुनावी तथ्य’ को किसी ऐसी सामग्री के रूप में परिभाषित किया गया है, जिससे चुनाव परिणाम को प्रभावित किया जा सकता है |
- धारा 126 के प्रावधानों के अनुसार यदि किसी भी प्रकार उल्लंघन किया जाता है, तो इसके लिए अधिकतम दो वर्ष का कारावास अथवा जुर्माना या दोनों ही निर्धारित किया गया है
- इसके अंतर्गत चुनाव आयोग टेलीविज़न/रेडियो चैनल और केबल नेटवर्क आदि के द्वारा प्रसारित या प्रदर्शित कार्यक्रमों के कंटेंट में ऐसी सभी सामग्री को प्रतिबंधित करता है, जिससे किसी दल या उम्मीदवार को बढ़ोत्तरी प्राप्त हो सके और वह चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सके | इसमें ओपनियन पोल, परिचर्चाएँ, विश्लेषण, दृश्य और ध्वनि संदेश को शामिल किया गया है |
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 A में प्रथम चरण में मतदान शुरू होने तथा अंतिम चरण में मतदान समाप्त होने के बाद आधे घंटे तक की निर्धारित अवधि के दौरान सभी राज्यों में चुनावों के परिणामों को प्रचारित करने पर रोक लगाई गई है |
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