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सामान्य और विशेष बहुमत में क्या अंतर है ?

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बहुमत शब्द का इस्तेमाल वोंटिंग के सन्दर्भ में किया जाता है। सामान्यतः जो उम्मीदवार सबसे अधिक मतों सी विजयी होता है उसे ‘बहुमत मिला है‘ कहते हैं। किसी संसदीय व्यवस्था मे संसद या विधानसभा में सबसे अधिक सदस्यों वाले दल द्वारा पूर्ण बहुमत से बनाई गई सरकार को बहुमत की सरकार कहते हैं, इसलिए आप भी जान लीजिये सामान्य और विशेष बहुमत में क्या अंतर हैं?

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सामान्य बहुमत

सामान्य बहुमत सदन में उपस्थित सदस्यों का 50% से ज्यादा  होता है, उदहारण के तौर पर  किसी समय निम्न सदन अर्थात लोकसभा में 543 सदस्य पूरे मौजूद नहीं है, तो उस समय उपस्थिति सदस्यों के 50% से अधिक को ही बहुमत माना जाता है,  और यह सामान्य बहुमत कहलाता है |  

सामान्य बहुमत को निकालने का फार्मूला  

उपस्थित सदस्यों की संख्या / 2 + 1

विशेष बहुमत  

विशेष बहुमत को स्पेशल मेजोरिटी कहा जाता है, विशेष बहुमत का प्रयोग सदन में मुख्य रूप से दो कारणों के लिए किया जाता है | पहला  संविधान में संशोधन करने के लिए तथा दूसरा  महाभियोग लाने के लिए  किया जाता है | विशेष बहुमत साधारण बहुमत से बिलकुल अलग होता है,  और किसी भी सदन में कुल सदस्यों की संख्या के दो तिहाई को विशेष बहुमत कहा जाता है |

 विशेष बहुमत  का फार्मूला  

पहले कुल सदस्यों को 3 से भाग दीजिए

लोकसभा कुल सदस्य: 543

543/3 = 181

अब 181 को 2 से गुणा कर दीजिए

181 X 2 = 362

लोकसभा विशेष बहुमत 362 है

विशेष और साधारण बहुमत में अंतर

विशेष बहुमत के अंतर्गत संविधान में संशोधन करना तथा महाभियोग लगानें हेतु किया जाता है, तथा विधान मंडल या संसद अथवा सदन के कुल व उपस्थित सदस्य संख्या के दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन से कोई विधेयक पारित किया जाता है | जबकि साधारण बहुमत में सभी सदस्यों की उपस्थिति न होने पर भी किसी भी कार्य को करनें में उनकी उपस्थिति 50% माना जाता है, अर्थात 50%+1 का नियम लागू होगा |  

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