सीतापुर लोकसभा सीट का इतिहास क्या है, इस निर्वाचन क्षेत्र पर कैसा है चुनावी माहौल

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Sitapur Lok Sabha Election Date- 6 May 2019

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सीतापुर लोकसभा सीट का बहुत ही महत्व है| इस सीट पर सबसे पहला चुनाव 1952 में हुआ था| उस समय यह सीट चर्चा का विषय बनी हुई थी| 1952 और 1957 के चुनाव में कांग्रेस की उमा नेहरु ने जीत दर्ज की थी| पंडित जवाहर लाल नेहरु के चचेरे भाई श्यामलाल की पत्नी उमा नेहरु थी|

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1962, 1967 के चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनसंघ ने जीत दर्ज की थी

1971 में कांग्रेस ने यहां वापसी की

1977 में भारतीय लोकदल ने कांग्रेस को करारी हार दी

1980, 1984 और 1989 में कांग्रेस ने यहां जीत की हैट्रिक लगाई

1991 में मंदिर आंदोलन के कारण भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर अपना खाता खोला

1996 में समाजवादी पार्टी ने यहाँ से जीत दर्ज की

1998 में बीजेपी ने यहां पर दोबारा वापसी की

1999 से लेकर 2009 तक बहुजन समाज पार्टी ने लगातार तीन बार चुनाव जीता

2014 में मोदी लहर में बहुजन समाज पार्टी की नीव उखड़ गयी यह सीट बीजेपी के खाते में गई

चुनावी माहौल

इस बार कांग्रेस हाशिए पर है और मुख्य लड़ाई गठबंधन तथा भाजपा में दिखाई पड़ रही है| सीतापुर संसदीय क्षेत्र में जनहित से जुड़े मुद्दे किनारे लग गए हैं। वोटों की लड़ाई अब जातीय समीकरणों तक सिमट गई है| सीतापुर लोकसभा सीट पर लगभग सवा दो लाख मुस्लिम, दो लाख अनुसूचित जाति, डेढ़ लाख ब्राह्मण एवं 85 हजार क्षत्रिय एवं कुर्मी मतदाता हैं। यहाँ पर चुनाव 6 मई 2019 को निर्वाचन आयोग के द्वारा कराये जायेंगे|

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