वर्तमान समय में लोगों का जीवन इस तरह से व्यस्त है, कि वह प्रतिदिन घर में भोजन करनें में असमर्थ हो जाते है जिसके कारण उन्हें मार्केट में उपलब्ध फ़ास्ट फ़ूड का सेवन करना पड़ता है, परन्तु यह फ़ास्ट फ़ूड लोगो को पहली पसंद बन चुका है |
अपनी भागदौड़ वाली दिनचर्या, अव्यवस्थित जीवनशैली, काम का बोझ और मानसिक तनाव ,समय पर भोजन न करनें से लोगों की शारीरिक ऊर्जा निरंतर कम होती जा रही है | जिसके कारण लोग अधिक मेहनत करने में असमर्थ हो जाते है | जिसका मुख्य कारण फ़ास्ट फ़ूड का सेवन करना है |
फास्ट फूड के अधिक सेवन से होने वाले परिणामो के बारे में कुछ लोगो को अच्छी जानकारी है, परन्तु अवसर प्राप्त होते ही वह अपने आप को रोकनें में असमर्थ हो जाते है, क्योंकि यह उनके प्रिय व्यंजनों में से एक है| आइए जानते है, कि कितने लोग सप्ताह में एक बार फास्ट फूड का सेवन अवश्य करते हैं |
यहाँ के लोग हफ्ते में एक बार जरुर खाते हैं फास्ट फूड
आई क्लिंट 2018 की रिपोर्ट से प्राप्त जानकारी के अनुसार , 35 फीसदी भारतीय ऐसे हैं, जो सप्ताह में एक बार फास्ट फूड का सेवन अवश्य करते हैं, जिनमें युवाओं के साथ-साथ बच्चे भी इसे अधिक पसंद करते है| इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ के सर्वे के मुताबिक़ , फास्ट फूड अधिक खाने से 14 फीसदी स्कूली बच्चे मोटापे का शिकार हो चुके हैं।
स्कूल के बच्चों में खासकर यह देखनें को मिलता है, कि वह घर का खाना- खानें की अपेक्षा जंक फूड खाना अधिक पसंद करते है, जिसके कारण शरीर में पोषण तत्वों की कमी होनें लगती है, और मोटापा बढ़ने लगता है। सभी जंक फूड्स में काबोर्हाइड्रेट और वसा की उच्च मात्रा पायी जाती है, जिससे कम उम्र के बच्चों में कलेस्ट्रॉल की मात्र बढ़ने लगती है, इसके साथ-साथ लीवर व खाना पचाने वाले अन्य पाचन अंगों को जंक फूड को पचाने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा और हॉर्मोनल स्राव की आवश्यकता होती है|
नींद पर गहरा प्रभाव
निरंतर बदलती जीवनशैली और शहरी लाइफस्टाइल कम नींद का प्रमुख कारण बन चुका है। कम समय में अधिक काम करना, शिक्षा का दबाव, रिश्तों में आती खटास, तनाव और अन्य समस्याओं के कारण लोगों को नींद नहीं आती है। विशेषज्ञों के अनुसार, नींद की कमी से तनाव के हॉर्मोन रिलीज होते हैं। नींद न आने के कारण हमारे शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता और अधिक होती है, ऐसे में फास्टफूड का सेवन करनें से डायबीटीज का खतरा कई गुना बढ़नें की संभावना अधिक हो जाती है।