केंद्र सरकार द्वारा 1 फरवरी को पेश होने जा रहे अंतरिम बजट में यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) स्कीम की घोषणा होने की पूरी संभवना है | सरकार ने अनुमान लगाया है कि देश के सबसे गरीब 25% परिवारों के हरेक सदस्य को न्यूनतम तयशुदा आय (मिनिमम गारंटीड इनकम) की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकारी खजाने से लगभग 7 लाख करोड़ की रकम खर्च हो सकती है |
अगर केंद्र सरकार अकुशल कामगारों को प्रति दिन 321 रुपये की न्यूनतम मजदूरी प्रदान करेगी तो हर व्यक्ति को प्रति माह 9,630 रुपये दिए जाने का प्रावधान शुरू करना होगा । अगर यह सुविधा सबसे गरीब 18 से 20 प्रतिशत परिवारों तक रखा जाएगा तब पर भी 5 लाख करोड़ से अधिक का खर्च आएगा।
एक सर्वे द्वारा मालूम हुआ है कि इसकी लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत आई है | इसके अतिरिक्त इस योजना के दायरे में 75 प्रतिशत गरीब आबादी को लाने का सालाना खर्च 2.4 से 2.5 लाख करोड़ रुपये आ जाएगा और इसी तरह से 18 से 20 प्रतिशत परिवारों के हर सदस्य को 3,180 रुपये प्रति माह दिया जाएगा तो सरकार को सालाना 1.75 लाख करोड़ रुपये का खर्च उठाना रहेगा |
इसमें एक बड़ी समस्या यह भी है कि आखिर लाभार्थियों की पहचान करने का क्या तरीका होगा? इसके लिए इस योजना के अंतर्गत खास स्तर के ऊपर एसी, कार या बैंक बैलेंस रखने वालों को नहीं रखे जाने की संभावना है | इस सर्वेक्षण में योजना के दायरे में लाभार्थियों की लिस्ट सार्वजनिक करने का भी सुझाव दिया गया था जिससे इस योजना का लाभ गलत तरीके से अपात्र लोग उठाने का प्रयास न करें |