भारत अपनी अंतरिक्ष शक्ति का प्रदर्शन एक बार फिर से करने जा रहा है, जिससे भारत की प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी होगी| अब भारत ‘चंद्रयान 2’ के लिए पूरी तरह से तैयार है| चंद्रयान 2 में पूरी तरह स्वदेशी तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है| यह तकनीक भारत द्वारा तैयार की गयी है, जिसमे अभी तक 600 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके है, यह खर्च 1,000 करोड़ रुपये तक जा सकता है|
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श्रीहरिकोटा से 15 जुलाई को चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण किया जायेगा| इसरो 3.8 टन वज़न वाले उपग्रह को अंतिम रूप दे रहा है| भारत द्वारा चंद्रयान 2 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जायेगा| यह चंद्रमा का वह भाग है, जिस पर अभी तक किसी देश के द्वारा अंतरिक्ष यान नहीं भेजा गया है| इस मिशन को अभी तक के सबसे जटिल मिशन में गिना जा रहा है|
चंद्रयान 2 की विशेष बातें
1.15 जुलाई, 2019 की मध्य रात्रि को चंद्रयान 2 प्रक्षेपित किया जाएगा
2.चंद्रयान 2 को ‘बाहुबली’ अथवा जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (GSLV Mk III) के द्वारा प्रक्षेपित किया जाएगा
3.इस चंद्रयान 2 में एक ऑरबिटर, ‘विक्रम’ नामक एक लैंडर तथा ‘प्रज्ञान’ एक रोवर सम्मिलित किया गया है
4.चंद्रयान 2 का वज़न 3.8 टन है यह आठ हाथियों के बराबर है
5.चंद्रयान 2 सॉफ्ट लैंडिंग के द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी भाग में उतारा जायेगा, इस भाग में अभी तक किसी देश के द्वारा अंतरिक्ष यान को नहीं उतारा गया है
6.इस अभियान में 13 भारतीय वैज्ञानिक उपकरणों को भेजा जायेगा
7.लेज़र रेंजिंग के लिए नासा के उपकरण को निःशुल्क ले जाया जाएगा
8.यह पूरी तरह से स्वदेशी अभियान है
9.भारत भुगतान करने के बाद नासा के डीप स्पेस नेटवर्क का प्रयोग करेगा
10.लैंडर के अलग होने तथा चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बीच वाले 15 मिनट सबसे ज़्यादा घबराहट रहेगी|
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