कावड़ यात्रा 2019 : सनातन परंपरा के मुताबिक़, हिन्दू धर्म में श्रावण मास के महीने का बहुत अधिक महत्व होता है| इस महीने में भोले बाबा के सभी भक्त कांवड़ यात्रा के लिए निकलते हैं| इस कांवड़ यात्रा में प्रत्येक वर्ष लाखों श्रद्धालु सुख-समृद्धि की कामना लिए इस पावन यात्रा में शामिल होते हैं| श्रावण के महीने में कांवड़ लेकर जाने वाले सभी भक्त पवित्र गंगा जल या फिर किसी नदी विशेष के शुद्ध जल से अपने ईष्ट देव का पहले जलाभिषेक करते हैं और फिर भगवान शिव को पुष्प चढ़ाते हैं| ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं|
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कांवड़ यात्रा के कुछ महत्वपूर्ण नियम
1.कांवड़ लेकर जाने वाले भक्तों को स्नान करने के बाद ही यात्रा में शामिल होना चाहिए|
2.भगवान शिव की इस यात्रा के दौरान कभी भी कांवड़ को जमीन पर नहीं रखना चाहिए। यदि आपको कहीं शौच, विश्राम आदि के लिए रुकना ही पड़ जाए तो इसे पेड़ आदि ऊंचे स्थानों पर टांग देना चाहिए|
3.कांवड़ यात्रा के दौरान चमड़े से बनी किसी चीज का इस्तेमाल नहीं करना रहता है|
4.कांवड़ को सिर के ऊपर रखकर नहीं ले जाना चाहिए|
5.जो लोग कावड़ यात्रा में शामिल हो उन्हें गलत शब्दों का प्रयोग, क्रोध और विवाद नहीं करना चाहिए।
6.कांवड़ यात्रा के दौरान बोल बम और जय शिव-शंकर का जयकारा या फिर शिव मंत्रों का जप या मनन करना चाहिए|
7.कांवड़ ले जाने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार का नशा जैसे मांस, मदिरा, भांग आदि का सेवन नहीं करना चाहिए|
8.कांवड़ यात्रा के इन तमाम नियमों के पालन के साथ ही भगवान शिव के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति भाव होना भाव भी हर एक भक्त के अंदर होना चाहिए । शुचिता, पवित्रता और संकल्प के साथ की गई इस यात्रा से प्रसन्न होकर भगवान शिव अपने भक्तों का हर प्रकार से कल्याण करते हैं|
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