परिवर्तिनी एकादशी आज 9 सितम्बर को मनाया जा रहा है| इस दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है, कि इस एकादशी पर भगवान विष्णु शयन करते हुए करवट लेते हैं, इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी के नाम से पुकारा जाता है। कुछ जगह इसे पद्मा एकादशी या पार्श्व एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने का विधान है। इस व्रत को समस्त पापों से मुक्ति वाला माना जाता है। कहा जाता हैं, कि परिवर्तिनी एकादशी की कथा पढ़ने या सुनने से हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है|
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परिवर्तिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
परिवर्तिनी (पार्श्व) एकादशी की तिथि | 09 सितंबर 2019 |
एकादशी तिथि प्रारंभ | 08 सितंबर 2019 को रात 10 बजकर 41 मिनट से |
एकादशी तिथि समाप्त | 10 सितंबर 2019 को सुबह 12 बजकर 30 मिनट तक |
पारण का समय | 10 सितंबर 2019 को सुबह 07 बजकर 04 मिनट से 08 बजकर 35 मिनट तक |
परिवर्तिनी (पार्श्व) एकादशी की पूजा विधि
1-परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें
2- अब घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने दीपक जलाएं
3- अब भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं
4- इसके बाद विष्णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाए
5- विष्णु की पूजा करते वक्त तुलसी के पत्ते अवश्य रखें
6- इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्णु की आरती उतारें
7- परिवर्तिनी एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं
8- इस दिन दान करना परम कल्याणकारी माना जाता है
9- रात के समय सोना नहीं चाहिए. भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए
10- अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें
11- इसके बाद अन्न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी को पार्श्व एकादशी के अलावा वामन एकादशी, जयझूलनी एकादशी, डोल ग्यारस और जयंती एकादशी जैसे कई नामों से जाना जाता है| हिन्दू धर्म में इस एकादशी का बड़ा महत्व है| मान्यता है कि इस एकादशी के दिन व्रत करने से वाजपेय यज्ञ जितना पुण्य मिलता है| ऐसा कहा जाता है, कि जो भी इस व्रत को सच्चे मन और श्रद्धा भाव से करता है, उसे जाने-अंजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलनें के साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है|
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