अफगानिस्तान में कई वर्षों से अमेरिकी सेना तैनात है, जिससे वहां पर शांति व्यवस्था बनी रहे | हाल ही में पेंटागन (अमरीका के प्रतिरक्षा विभाग का मुख्यालय) से इसके लिए नयी नीति की घोषणा की गयी है| इसके अनुसार अगले तीन से पांच साल में अमेरिकी सैनिकों की वापसी की जाएगी| यह नीति अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच वार्ता में मददगार मानी जा रही| इस नीति के अंतर्गत दक्षिण एशियाई देश में तैनात 14,000 सैनिकों की संख्या आधी करने की भी बात की गयी है|
अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिक पेंटागन की नई नीति के तहत अगले तीन से पांच साल में अपने देश लौटेंगे। न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका और अफगान तालिबान के बीच वार्ता में मददगार मानी जा रही, इस नीति में दक्षिण एशियाई देश में तैनात सैनिकों की संख्या आधी करने का विचार किया जा रहा है|
उत्तरी अटलांटिक संधि संघ (नाटो) मुख्यालय जोकि वॉशिंगटन और ब्रसल्ज में स्थित है, नाटो ने यह स्वीकार किया है, कि इस नीति के अनुबंध के तहत अफगानिस्तान में तैनात 8,600 यूरोपीय और अन्य अंतर्राष्ट्रीय सैनिकों के द्वारा अफगानिस्तानी सेना को प्रशिक्षित किया जायेगा| प्रशिक्षित होने के बाद अफगानिस्तान स्वयं अपनी रक्षा कर पायेगा| इसके बाद अमेरिकी सेना आतंकवादरोधी अभियानों में जुट जाएगी |
पेंटागन के प्रवक्ता कोन फॉकनर ने जानकारी दी है कि शांतिवार्ता चल रही है, अमेरिका के द्वारा सेना की संख्या और तैनाती के सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है| दोनों पक्षों के बीच पांचवें चरण की वार्ता कतर की राजधानी दोहा में सोमवार को शुरू हो चुकी है| अफगानी संधि के लिए अमेरिका के प्रमुख प्रतिनिधि जलमाय खलीलजाद तालिबान से वार्ता को सकारात्मक बताया है| अभी तक अफगानिस्तान में मरने वाले अमेरिकी सैनिकों की संख्या 2,400 से अधिक हो चुकी है |