उत्तर प्रदेश में स्थित अयोध्या जिले में राम जन्मभूमि-विवादित ढांचा है, इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है | इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘यह निजी संपत्ति का विवाद नहीं है। यह काफी विवादास्पद हो गया है। हम मध्यस्थता पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। यहां तक कि अगर केवल 1% मौका है, तो यह किया जाना चाहिए।’
सर्वोच्च न्यायालय में मध्यस्थता के लिए मुस्लिम पक्ष तैयार दिख रहा था, इसको देखते हुए दूसरे पक्षकार निर्मोही अखाड़े ने भी हाँ कर दी है, लेकिन इसके लिए हिन्दू पक्ष तैयार नहीं है | हिन्दू पक्ष की ओर से कहा गया है कि पहले भी इसके लिए कोशिश हो चुकी है, लेकिन इसमें कोई सफलता नहीं मिली | सुप्रीम कोर्ट अब अगली डेट को इस मामले की सुनवाई करेगा |
कोर्ट ने सभी पक्षकारों से कहा कि वह यूपी सरकार की ओर से दाखिल किए गए अनुवाद को छह सप्ताह मे जांच ले इसी समय आठ सप्ताह मे मध्यस्थता के प्रयास किए जायेंगे |
इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की पीठ सुनवाई करेगी | इससे पूर्व 29 जनवरी को जस्टिस एसए बोबडे के उपलब्ध न होने के कारण सुनवाई टल गयी थी | इसके बाद यह सुनवाई 20 फरवरी को हुई जिसमे अगली डेट 26 फरवरी तय हुई थी |
सुब्रमण्यम स्वामी ने सोमवार को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष अपनी रिट याचिका को मुख्य मामले के साथ ही मंगलवार को सुनवाई की मांग की थी, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने स्वामी से कहा था कि मंगलवार को सुनवाई के समय वह कोर्ट में उपस्थित रहे | सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका में अबाधित पूजा अर्चना के अधिकार की मांग की गयी है |
इससे पूर्व कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के लिए मस्जिद को नमाज के लिए इस्लाम का अभिन्न हिस्सा न मानने वाले फैसले की पुनर्समीक्षा की मांग ठुकरा दी थी |