मिशन कश्मीरः मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 को हटाने का फैसला पूरी तरह से गुप्त रखा गया था| बता दें कि, मोदी सरकार के लिए आर्टिकल 370 को हटाने जैसा बड़ा फैसला लेना आसान काम नहीं था| उसके सामने बड़े पैमाने पर सुरक्षा इंतजाम किये गए और सरकार के सामने इस प्लान का सबसे के सामने खुलासा न हो पाना सबसे बड़ी चुनौती थी। इसलिए मिलिए पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की ख़ास टीम से, जिन्हे आर्टिकल 370 को हटाने हटाने का फैसला मालूम था|
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1.अजीत डोभाल, NSA
इस टीम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल हैं, जिन्होंने सुरक्षा को लेकर अचूक रणनीति तैयार की और इसके साथ ही कश्मीर जाकर टॉप ऑफिसरों के साथ मीटिंग की । इसके अलावा उन्होंने वहां के सुरक्षा हालात के बारे में छानबीन की और आगे की रणनीति बनाने लगे| वहीं अब आर्टिकल 370 हटाने के फैसले के बाद अब वह घाटी में शांति सुनिश्चित करने में लगे हुए हैं, वह अभी भी जम्मू-कश्मीर में ही हैं।
2.गृह सचिव राजीव गौबा
गृह सचिव राजीव गौबा भी मोदी के इस फैसले में शामिल रहे, जो 1982 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस ऑफिसर हैं। उन्हें गृह मंत्रालय के सबसे बड़े अधिकारी के तौर पर गृह मंत्री अमित शाह की सारी योजना को बताने की जिममेदारी सौंपी गई थी। बता दें कि, इनकी अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, सोमवार 5 अगस्त को कैबिनेट मीटिंग से पहले सुरक्षा पर मंत्रीमंडलीय समिति की बैठक में भी वो शामिल रहे|
3.बीवीआर सुब्रमण्यम, मुख्य सचिव
बीवीआर सुब्रमण्यम मुख्य सचिव को केंद्र की योजना को जम्मू-कश्मीर में लागू करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इतने करीब हैं कि इन्हें अगले होम सेक्रटरी के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि उन्होंने घाटी में शांति बहाली के लिए बहुत ही अच्छा कदम उठाया है जिसकी वजह से प्रधानमंत्री उनसे अत्याधिक प्रसन्न हैं। जम्मू-कश्मीर में कुछ दिनों के अंदर ही लिए गए इस फैसले में वो हाइवे बैन के साथ-साथ कई बड़े फैसलों में काफी योजनएं बताई है |
4.जनरल बिपिन रावत, आर्मी चीफ
सुरक्षा की दृष्टि से इतने बड़े फैसले से आर्मी चीफ अवगत नहीं हों, यह कैसे हो सकता है? कश्मीर में अलगाववादियों, नेताओं से लेकर आम जनता तक को नियंत्रित रखने की जिम्मेदारी इन्हीं पर है।
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