जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद-35ए को लेकर सोमवार को केंद्र सरकार को चेतावनी दी है। मेहबूबा मुफ्ती ने कहा, ”आग के साथ मत खेलो, यदि आपने अनुच्छेद-35ए के साथ छेड़छाड़ की तो, आपको वो देखने को मिलेगा, जो 1947 से अब तक नहीं हुआ, यदि आपने कुछ भी हरकत की, तो मैं नहीं जानती, कि जम्मू-कश्मीर के लोग तिरंगे के बदले कौन सा झंडा थाम लेंगे ?
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे से छेड़छाड़ करने की कोशिश करने के गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 और 35-ए को बचाने के लिए लड़ाई जारी रखेगी। पार्टी के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “आपका (केंद्र तथा राज्यपाल प्रशासन) का कार्य विधानसभा चुनाव कराना है, और इसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र की जनता तय करेगी, नई सरकार स्वयं अनुच्छेद 35-ए को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम करेगी।
अनुच्छेद 35ए की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में इस सप्ताह सुनवाई हो सकती है। ऐसा अनुमान है, कि केंद्र की मोदी सरकार अध्यादेश के माध्यम से इस कानून में संशोधन कर सकती है। वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में धारा-370 को समाप्त करने का वादा भी किया था। वहीं, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को यह साफ कर दिया है, कि अनुच्छेद 35ए में बदलाव किए जाने संबंधी मुद्दे पर उसके रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
अनुच्छेद 35ए के
तहत मिलती है पूर्ण नागरिकता
इस अनुच्छेद के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर सरकार राज्य के नागरिकों को
पूर्ण नागरिकता प्रदान करती है। राज्य के बाहर का कोई भी व्यक्ति यहां किसी प्रकार
की संपत्ति नहीं खरीद सकता है। यहां की महिला से शादी के बाद उसकी संपत्ति पर अपना
हक नहीं जमा सकते । यह राज्य के लोगों को विशेष दर्जा देती है। पिछले काफी समय से इस
कानून को लेकर विवाद चल रहा है।
संविधान में यह धारा शुरू से नहीं थी। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के राष्ट्पति रहते मई 1954 में इसे लागू किया गया था। धारा 35A, धारा 370 का हिस्सा है। इस व्यवस्था के चलते भारत के दूसरे राज्य का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है, और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है।