अब प्रदूषण को लेकर एक बार फिर कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए गये हैं | हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और राजधानी लखनऊ में नरसंहार से अधिक खतरनाक प्रदूषण को बढ़ते हुए देखकर टिप्पणी की है और केंद्र और राज्य सरकार को बढ़ते हुए इस खतरनाक प्रदूषण को सुधारने के लिए कदम उठाने के आदेश दिए हैं। इसके अतिरिक्त 1 मार्च को सारे मामले में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को संबंधित रिकॉर्ड और उनके द्वारा किए गए अध्ययन के विवरण को पेश करने के निर्देश दिए है।
यह याचिका कोर्ट में सक्षम फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से दाखिल की गई है जिसपर जस्टिस शबीहुल हसनैन व जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच ने सुनवाई की | हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए आदेश दिए हैं कि इस बढ़ते हुए प्रदूषण से लोगों और आने वाली पीढ़ी का जीवन खतरे में है। ‘नरसंहार से अधिक खरनाक यह प्रदूषण’ बड़ी संख्या में लोगों की जिंदगी का खात्मा कर देता है।
यह याचिका कोर्ट में मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर राजधानी लखनऊ में वायु प्रदुषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने का कारण बताते हुए दायर की गई है। इसमें पेट्रोल पंपों से निकलने वाले कैंसर कॉजिंग फ्युंस का मामला रखा गया है। इसके अतिरिक्त इस याचिका में यह भी मांग की गई है कि पंपों पर वेपर रिकवरी सिस्टम लगावाया जाए |
वहीं मौसम विशेषज्ञ प्रो. ध्रुव सेन सिंह ने जानकारी दी है कि भले ही मौसम विभाग ने भारत में बारिश की संभावना जताई हो परन्तु इसके बावजूद भी यह बढ़ता हुआ प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है |