जब प्रदूषण की बात आती है, तो सबसे पहले अधिकतर लोग पटाखों को लेकर प्रदूषण का कारण बताने लगते हैं | अब इसी मामले पर 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग पटाखा उद्योग के पीछे क्यों पड़े हैं, जबकि सबसे अधिक प्रदूषण वाहनों के कारण होता है | इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने केन्द्र से जानकारी मांगी, कि क्या उसने कभी भी प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए पटाखों और आटोमोबाइल से होने वाले प्रदूषण के बीच कोई तुलनात्मक अध्ययन कराने का प्रयास किया है।
वहीं न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने पटाखा निर्माण उद्योग और इसकी बिक्री में शामिल लोगों का रोजगार में रुकावट आने पर गम्भीर चिंता जताते हुए कहा कि, ” हम बेरोजगारी को और अधिक नहीं बढ़ाना चाहते हैं |
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अदालतमें देश भर में पटाखों के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के लिये याचिका दायर की गई थी जिस पर कोर्ट में सुनवाई की जा रही थी | इस दायर याचिका में पेश किया गया था, कि पटाखों की वजह से देश भर में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है |
शीर्ष अदालत ने स्वयं दीवाली और दूसरे त्यौहारों के अवसर पर देश में शाम आठ बजे से दस बजे तक पटाखे जलाने का आदेश दिया था । अदालत ने सिर्फ कम आवाज करने वालों पटाखों को जलाने की अनुमति प्रदान की थी |
शंकरनारायणन ने बताया है, कि पटाखों के निर्माण पर प्रतिबंध लगाने का सुप्रीम कोर्ट ने कोई निर्देश नहीं दिया है। कोर्ट ने कहा है, कि वाहनों से के साथ –साथ पराली जलाने के कारण भी प्रदूषण अधिक फैलता है |
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