मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में विनिवेश की गति को तेज के पूरे प्रयास में है। इसके लिए सरकार ने योजना बनाते हुए सरकारी कंपनियों की संपत्ति बेचकर 1 लाख करोड़ रूपये जुटाने का लक्ष्य निर्धारित है| अब इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने 29 कंपनियों की लिस्ट तैयार कर ली है। इन कंपनियों की हिस्सेदारी को प्राइवेट कंपनियों को बेचकर पैसा जुटाया जाएगा।
सरकार अपने इस लक्ष्य को जल्द ही पूरा कर देगी |वहीं डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट पब्लिक असेट्स मैनेजमेंट के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने बताया कि, सरकार रणनीतिक बिक्री के साथ ही अगले सप्ताह बिक्री के लिए तीन नए प्रस्ताव पेश कर सकती है। इसी के साथ चक्रवर्ती ने कहा कि, “बजट में ऐसे कई उपायों की बात कही गई है। इनमें लिस्टेड कंपनियों में जनता की हिस्सेदारी को बढ़ाना शामिल है। इससे इक्विटी मार्केट से पैसा जुटाने में मदद मिलेगी।”
आगे उन्होंने कहा कि, रणनीतिक निवेश के तहत हम चरण दर चरण आगे बढ़ेंगे। एयर इंडिया के बिक्री की घोषणा पहले ही हो चुकी है, लेकिन वह सिर्फ एक केस है। अगले सप्ताह इस तरह की तीन बिक्री संबंधी प्रस्ताव पेश किए जाएंगे। इसलिए, इनके लिए एक ऐसी कन्वेयर बेल्ट होगी जहां प्रोडक्ट को रखा जाएगा। इसी के साथ कहा कि, सरकार कुछ जमीनों की बिक्री का प्रस्ताव पेश कर बाजार की प्रतिक्रिया देखेगी। इसके बाद इस प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।
वित्त मंत्री द्वारा पेश किये गए आम बजट 2019 में 1.05 लाख करोड़ रुपये विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। अंतरिम बजट में विनिवेश के माध्यम से 90 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया था।
सरकार ने 2019-20 के पहले दो महीने में ही 2357.10 करोड़ रुपये जुटाए हैं। वहीं साल 2018-19 में सरकार ने विनिवेश के माध्यम से 84972.16 करोड़ रुपये जुटाए थे। हालांकि, 2018-19 में 80 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित हुआ था। चक्रवर्ती ने कहा कि, सरकार ने बाजार से इक्विटी फ्लो बढ़ाने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। उदाहरण के लिए कंपनियों में जनता की हिस्सेदारी को 25 से बढ़ाकर 35 फीसदी करने से दीर्घावधि के लिए अधिक पैसा जुटाया जा सकेगा।’
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