Loksabha : लोकसभा में 3 तलाक बिल पेश होते ही गर्म हुआ माहौल, रविशंकर प्रसाद और औवैसी में हुई तीखी बहस

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 Loksabha : अब एक बार फिर बहुचर्चित तीन तलाक बिल संसद में पहुंच चुका है। जानकारी देते हुए बता दें, कि शुक्रवार 21 जून को मोदी सरकार ने 17वीं लोकसभा में अपने पहले बिल के रूप में ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019’ पेश कर दिया है। यह बिल विपक्ष के विरोध के बीच 74 के मुकाबले 186 मतों के समर्थन से पेश किया गया है| बिल के पेश होते ही माहौल काफी गर्म हो गया और उसी दौरान सत्ता पक्ष और विपक्षी सांसदों, खासतौर पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुसलमीन के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बीच तीखी बहस हुई।

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बता दें, कि कानून मंत्री ने सदन में बिल को पेश करते हुए कहा कि, यह मुस्लिम महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बिल को असंवैधानिक और भेदभाव वाला बताकर विरोध किया, ‘पिछले साल दिसंबर में लोकसभा से पारित किया, राज्यसभा में पेंडिंग था। चूंकि लोकसभा का कार्यकाल समाप्त हो गया तो नई लोकसभा में संविधान की प्रक्रिया के तहत नए सिरे से नया बिल लाए हैं। कानून पर बहस और उसकी व्याख्या अदालत में होती है, लोकसभा को अदालत मत बनाएं।’

ओवैसी ने कहा यह बिल को महिलाओं के हित में नहीं          

ओवैसी ने तीन तलाक बिल संविधान के आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन बताकर विरोध किया। ओवैसी ने बिल को मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने वाला बताया। असदुद्दीन ओवैसी समेत विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘शायरा बानू के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक का मामला मनमाना और असंवैधानिक है। यह सवाल न सियासत का है, न इबादत का, न धर्म का, न मजहब का। यह सवाल है नारी के साथ न्याय और गरिमा का। भारत के संविधान में आर्टिकल 15 लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होने की बात कहता है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने किया बिल का विरोध  

तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बिल का यह कहकर विरोध किया कि यह समुदाय के आधार पर भेदभाव करता है। थरूर ने कहा, ‘मैं तीन तलाक का विरोध नहीं करता, लेकिन इस बिल का विरोध कर रहा हूं। रविशंकर प्रसाद बिल की जरूरत को बताते हुए कहा, ’70 साल बाद क्या संसद को नहीं सोचना चाहिए कि 3 तलाक से पीड़ित महिलाएं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी न्याय की गुहार लगा रही हैं, तो क्या उन्हें न्याय नहीं मिलना चाहिए।   

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